दिनांक 7 मई 2022 माननीय सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी से स्पष्ट है कि सरकार ने ओबीसी आरक्षण के सम्बंध में अधूरी रिपोर्ट पेश की है।
2-न्यायालय के निर्देश के बाद भी पूरी जानकारी प्रस्तुत न करना ओबीसी के साथ धोखा और छलावा है।
3-ओबीसी को अब पूरा 52%आरक्षण चाहिए।
4-ओबीसी वर्ग ,सरकार की इस चतुराई और पाखंड को बहुत बारीकी से देख रहा है और उसका खामियाजा भाजपा कोआगामी चुनावों में भुगतना पड़ेगा।
वरिष्ट समाजसेवी युवा नेता इंजी प्रशांत (भाऊ) मेश्राम ने जन्मभूमि टाईम्स &जेबीटी आवाज t v 24/7 को बताया कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणी सरकार ने ओबीसी आरक्षण के संबंध में जो त्रिस्तरीय रिपोर्ट— राजनैतिक,आर्थिक,एवम शैक्षणिक आधार पर पूरी जानकारी के साथ प्रस्तुत की जानी थी ,वह रिपोर्ट आधी अधूरी पेश की गई है।
इससे ओबीसी आरक्षण मिलने की संभावना क्षीण हो गई है ।
यह 52% ओबीसी वर्ग के साथ धोखा है ।सरकार ने जानबूझकर ओबीसी की 52% आबादी को 48% बताने का जो कुत्सित प्रयास किया है वह भी ओबीसी के साथ धोखा है। न्यायालय के निर्देश के कई महीनों बाद यह रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत की गई , तथ्यात्मक तथा प्रमाणिक होनी चाहिये थी, किंतु म.प्र. सरकार ने आधे अधूरी रिपोर्ट पेश कर ओबीसी के साथ छलावा किया है। यह भी बताया गया कि जब एस सी,एसटी,और सामान्य वर्ग को जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण मिल चुका है तो ओबीसी को भी पूरा 52%आरक्षण मिलना चाहिए।जन
प्रतिनिधीयो का मौन रहना सशंय पैदा करता है ,जवाबदारी से ओबीसी का आरक्षण लागू होना चाहिए।
भाजपा ने ओबीसी मुख्यमंत्री का चेहरा आगे कर इस वर्ग के साथ सबसे बड़ा छलावा करने का जो प्रयास किया है वह निंदनीय है ।
ओबीसी की 52% आबादी, इनके पाखंड को पैनी नजर से देख रही है, और इसका खामियाजा आगामी पंचायत ,नगरीय, विधानसभा एवं लोकसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को भुगतना पड़ेगा।
*टीम*
*इंजी* *प्रशांत (भाऊ) मेश्राम)कटंगी तिरोडी* *खैरलांजी विधानसभा
क्षेत्र