*बालाघाट/मध्यप्रदेश* पुलिस प्रशासन के आखों के सामने से हो रही है पशु तस्करी रूपया ने बांदा हाथ। *पुलिस ठेकेदारों पर मेहरबान जनता हैरान किसान परेशान?*
बालाघाट जिला एक ऐसा जिला बन गया जो गौ तस्करी के नाम से जानें जाना लगा है बालाघाट जिले में मुख्यमंत्री हाट बाजार के तहत जिले के अन्य क्षेत्रों में बाजार लगता हैं। बड़े व्यापारी कम कीमतों से खरीद कर पशु तस्करी का खेल लम्बे समय से चल रहा है मऊ (चागूटोला),लालबर्रा,बिरसा, मलाजखंड और मोहगांव क्षेत्रों में दिनों दिन बढ़ता जा रहा है जिस पर स्थानीय प्रशासन लगाम लगाने में फेल नजर आ रहा है।हालांकि मप्र शासन के आयुष मंत्री रामकिशोर कावरे ने १९ नवम्बर को कानून व्यवस्था को लेकर कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में एसडीएम व पुलिस अधिकारियों की बैठक लिया गया था। बैठक में कलेक्टर श्री डॉ गिरीश कुमार मिश्रा,तत्कालीन एसपी अभिषेक तिवारी, एडीएम शिवगोविंद मरकाम, एएसपी गौतम सोलंकी, बालाघाट एसडीएम केसी बोपचे, वारासिवनी एसडीएम संदीप सिंह,किरनापुर एसडीएम निकिता सिंह मंडलोई, वारासिवनी, लांजी, बैहर के अनुविभागीय अधिकारी पुलिस व लांजी, कटंगी के तहसीलदार उपस्थित थे।
आयुष मंत्री कावरे ने बैठक में अधिकारियों से कहा था कि बालाघाट जिले को गौ तस्करी से मुक्त करना हमारा मिशन है और इसमें सभी अधिकारियों को संवेदनशील होकर कार्य करने की जरूरत है। जिले में कहीं पर भी गौ तस्करी पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाएं जाए और इसमें लिप्त लोगों पर सख्त कार्यवाही की जाए। गौ तस्करी किए जाने वाले जिले के ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित किया जाए और उनमें सतत निगरानी की जाए। बड़े तस्कर जो सैकडो की संख्या से गौतस्करी में जो व्यक्ति बार-बार पकड़ा जा रहा हो उसके विरूद्ध जिला बदल की कार्रवाई की जाए और गौ तस्करी में लिप्त वाहनों को सीधे राजसात करने की कार्रवाई की जाए। गौतस्करी रोकने के लिए जिले में लगने वाले मुख्य पशु बाजारों पर निगरानी रखी जाए। किसान अपनी जरूरत के अनुसार ही बैल या पशु क्रय करता है। किसान पशु बाजार से एक साथ दो जोड़ी बैल नहीं खरीद सकता है। किसान को बाजार से दो बैल क्रय करने की ही अनुमति हो, यदि वह इससे अधिक क्रय करता है तो मामला संदेह जनक हो जाता है। ऐसे मामलों की जांच कर दोषियों के ऊपर सख्त कदम उठाया जाए।लेकिन मंत्री द्वारा दिये गए निर्देश का पालन करने में स्थानीय प्रशासन विफल नजर आ रहा है तभी तो रोजाना सैकड़ो बेजुबान जानवरों को इधर से उधर किया जा रहा है।इस खेल में कुछ स्थानीय लोग मुखौटा लगाकर पशु तस्करों के साथ बखूबी दे रहे हैं जिससे पशु तस्करों के हौसले बुलंद हैं। *प्रशासन, दबंगों, ठेकेदारों से किसान परेशान* बाजार बोली से ठेकेदार द्वारा बड़ा चढ़ा कर मवेशी बाजार लिया जाता है। जब किसान मवेशी लेता या बेचता है तो एक जोड़ी मवेशी का सरकारी राशी ५०रूपया होने के बाद भी मवेशी लेने वाले से ८००रूपया वा बेचने वाले से १०० रूपए लिया जाता है और चिट्ठी में मवेशी बाजार ठेकेदार किसानों से ५०रूपए की रशीद देता हैं जब किसान इस बात को ठेकेदार को बोलने जाता है तो ठेकेदार के साथ उनके गुर्गे भी किसान की आवाज को डरा चमकाकर भगा देता है। जब हम लोग ठेकेदार की शिकायत थाने जाते तो पुलिस घंटों बैठने को बोलती हैं फिर बाद में जाओ अब वो ऐसा नहीं करेंगे ऐसा बोल कर जाने को बोल देती है किसान द्वारा बताया गया है कि बैल बजार के ठेकेदार द्वारा थाने मे भी रूपया जाता है तभी पुलिस उनको कुछ नहीं बोलती, जब हम बैल खरीद कर अपने घर को जाते हैं तो दबंगो द्वारा हम से रास्ते में १ जोड़ी बैल का २०० रूपए डरा चमका कर लिया जाता है जब हमने मवेशी बाजार के ठेकेदार द्वारा इस बात को सामने रखा तो ठेकेदार भी गाली गलौच कर भगा देता है। मामूली सा किसान करे तो करे क्या पुलिस भी ठेकेदारों के सामने बिक जाती है कोई कार्यवाही नहीं करती।
राम साकुरे की रिपोर्ट 7898269219