मायके के दखल से बिगड़े रिश्ते को सखी केंद्र ने सहारा देकर सुधारा
महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती मनीषा लुंबा के मार्गदर्शन में वन स्टॉप सेंटर(सखी) द्वारा पारिवारिक झगड़ों में सतत परामर्श कर मतभेद को दूर कर दाम्पत्य जीवन पुन:स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई जा रही है ।
परिवर्तित नाम अंकिता पति रोहित दोनों का विवाह हुए लगभग 2 वर्ष हो गए थे, पति–पत्नी, सास–ससुर, देवर सभी संयुक्त परिवार में रह रहे थे, अंकिता की शादी के कुछ ही महीनों में वह गर्भवती हो गई, उस समय उसे ऐसा लगने लगा कि ससुराल में उसे छोटी- छोटी बातों के लिए, चीजों के लिए पूछना पड़ता और मानसिक रूप से प्रताड़ित होना पड़ता है, अंकिता एक धैर्य तक बातों को सुनती एवं देखती रही, उसे महसूस होने लगा कि कहीं पति एवं सास–ससुर उसे समझ नहीं रहे हैं और वह अपनी बातों को मायके में बताने लगी। जिसके कारण अंकिता के ससुराल में थोड़ी – थोड़ी बातों में खटपट सी होने लगी। अंकिता को ससुराल के पारिवारिक नियम के तहत चलने में परेशानी सी महसूस होने लगी। उसे ऐसा लगने लगा कि उसका एवं बच्चे की उचित प्रकार से देखभाल नहीं किया जा रहा है और एक दिन गुस्से में वह घर से निकल गई, मायके जाने के लिए जैसे ही घर से निकली तो पति एवं ससुर उसे रोकने निकले। किंतु अंकिता ने किसी की भी नहीं सुनी और मायके आ गई।
मायके आने के पश्चात अंकिता के माता–पिता को हर एक बात पता चली, अंकिता के पिता ने बेटी को समझाने के बजाय उल्टा ससुराल वालों के विरुद्ध बोलने लगे और तलाक तक कर लेंगे कहा। अंकिता मायके में तीन माह से रह रही थी, अंकिता को वन स्टॉप सेंटर के बारे में इंटरनेट के माध्यम से पता चला और अंकिता के द्वारा तत्काल वन स्टॉप सेंटर से संपर्क किया गया, जहां सबसे पहले केसवर्कर श्रीमती यनिता राहंगडाले से अपनी आपबीती बताई। केसवर्कर द्वारा प्रशासक सुश्री रचना चौधरी को प्रकरण से अवगत कराकर परामर्श तय किया गया। परामर्शदाता डॉ. दीपा परते के द्वारा अंकिता से बातचीत कर पता चला कि अंकिता एकल परिवार में पली बढ़ी है, चुंकी अंकिता संयुक्त परिवार के मध्य सामजस्य नहीं कर पा रही थी, जिस कारण अंकिता को संयुक्त परिवार में सब के साथ रहने में तकलीफ हो रही थी। अंकिता को समझाया गया कि आप थोड़ा धैर्य रखिए, ताकि आपके पति एवं ससुराल पक्ष को समझाया जा सके।
परामर्श के पहले सत्र में पति, सास–ससुर एवं अंकिता को परामर्श दिया गया, दूसरे सत्र में अंकिता के माता–पिता को एवं सास–ससुर को समझाया गया कि, अंकिता एवं बच्चे के लिए संयुक्त परिवार सर्वाधिक सुरक्षित और बच्चे के उचित शारीरिक एवं चारित्रिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। माता-पिता के साथ अन्य परिजन विशेष तौर पर दादा–दादी का प्यार, ज्ञान, अनुभव भरपूर मिलता है एवं बच्चे का संस्कारवान, चरित्रवान एवं स्वस्थ बनाने में परिवार के परिजनों का सहयोग प्राप्त होता है। अंकिता के माता–पिता को भी परामर्श दिया गया कि आप बेटी के घर की छोटी–छोटी बातों में अपना हस्तक्षेप नहीं करें। अंकिता अपने पति के साथ ससुराल जाने को तैयार हो गई और अब सास–ससुर के साथ मिलकर रहने लगी है।