अंधेर नगरी चौपट राजा टके शेर भाजी टके शेर खाजा जी हां यह कहावत चरितार्थ हो रही है पन्ना जिले में क्यों कि यहां अधिकारियों की अनदेखी या लापरवाही या कोई दबाब जब तो यात्रियों की जेब पर यात्री बस ट्रेवल्स मालिक डाका डालने में जुटे साथ ही डाके के साथ उनके जान माल के साथ खिलवाड़ भी कर रहे बड़े मोटे अक्षरों में बसों में लिखा रहता है यात्री अपने सामान की स्वयं रक्षा करें ठीख है लेकिन यात्रियों की जेब पर डाका डाल रहे हो और मनमाना किराया वसूल रहे है साथ ही उनके साथ दुर्व्यवहार करते है जनाब न तो बसों में सीसी कैमरे न बसों में अग्नि सामक सिलेंडर न बसों में फास्ट एड बॉक्स लगता है परिवहन अधिकारी जन ओर बस मालिक पन्ना छतरपुर का बह भयावह बस बर्निंग कांड हादसा भूल गए जिसमे कई लोग जिंदा जल गए थे जनाव लगता है आप सब को शंख पुष्पी की जरूरत है जिससे याद कमजोर न पडती है ये आयुर्वेद का नुस्खा शायद आप सब के काम आसके क्योकि न तो बसों में किराया सूची चष्पा है न कोई आरटीओ बिभाग का शिकायत नम्वर हां अगर देखा जाए तो बसों में किराया सूची जहां चष्पा होनी चाहिए वहां शादी पार्टी में बस बुकिंग हेतु सम्पर्क करें जैसे विज्ञापन पम्पलेट जरूर चिपके मिलेंगे यात्रियों को जो टिकिट दी जाती है न तो उसमें कोई ट्रेबल्स का नाम होता है ओर कन्डेक्टर साहब की तो बात ही क्या टिकट पर किस भाषा मे उसमे क्या लिख देते है कि ख़ुद लिखे ओर खुदा बांचे सच मे लगता ये डिजिटल इंडिया की डिजिटल भाषा है कोई /
अंधेर नगरी चौपट राजा /बसों में यात्रियों की जेब पर डाका
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