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सांप या जहरीले कीड़े के काटने पर झाड़-फूंक नहीं करायें

सांप या जहरीले कीड़े के काटने पर झाड़-फूंक नहीं करायें

तत्काल अस्पताल में उपचार कराने की सलाह

वर्षा ऋतु के दिनों के सर्पदंश की घटनायें अधिक होती हैं और समय पर उपचार नहीं होने के कारण पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। सर्पदंश के मरीज को तत्काल उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराने पर उसकी जान बचायी जा सकती है। कलेक्टर डॉ गिरीश कुमार मिश्रा ने जिले की जनता से अपील की है कि सर्पदंश की घटना होने पर झाड़-फूंक से मरीज को ठीक कराने के चक्कर में न रहें बल्कि मरीज को उपचार के लिए तत्काल निकटतम अस्पताल लाने का प्रयास करें। सांप के काटने पर झाड़-फूंक से नहीं बल्कि एंटी स्नैक वैनम से ही मरीज की जान बचायी जा सकती है। जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं दूरस्थ क्षेत्रों के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में एंटी स्नैक वैनम के इंजेक्शन पर्याप्त संख्या में उपलब्ध है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मनोज पांडेय ने बताया कि आमजनों को सर्पदंश की स्थिति में मरीज को तत्काल अस्पताल ले जाने की सलाह दी गई है। बरसात के दिनों में सांप काटने के केस अधिक संख्या में सामने आते हैं। सांप काटने में व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है अत: सांप के काटने को अनदेखा न करें। सांप के काटने पर पंडा-पुजारी के चक्कर में ना आयें और झाड़-फूंक के अंधविश्वास में न रहें, ऐसा करने पर मरीज की जान जा सकती है। सांप के काटने पर एंटी स्नैक वैनम ही मरीज की जान बचा सकता है। इसके लिए मरीज को अतिशीघ्र अस्पताल लाना बहुत जरूरी है।

डॉ पांडेय ने बताया कि सांप के दांत के नीचे विष की थैली होती है। सांप के काटने पर विष की थैली से सीधे शरीर में खून के माध्यम से जहर फैल जाता है। सामान्यत: जहरीले सांपों के काटने पर दांतों के दो निशान अलग ही दिखाई देते हैं। गैर विषैले सांप के काटने पर दो से ज्यादा निशान हो सकते हैं, परन्तु ये निशान दिखाई नहीं देते है। अत: सांप के काटने पर निशान नहीं दिखाई देने पर यह सोचना गलत होगा कि सांप ने नही काटा है। ज्यादातर सांप गैर विषैले भी होते हैं। सांप के काटने पर करीब-करीब 95 प्रतिशत मामलों में पहला लक्षण नींद का आना है, इसके साथ ही निगलने या सांस लेने में तकलीफ होती है, आमतौर पर सांप काटने पर आधे घंटे बाद लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

सांप के काटने पर क्या करें और क्या ना करें

डॉ पांडेय ने बताया कि सांप के काटने पर घाव के आसपास रस्सी न बांधें, ब्लेड से न काटें और पारम्परिक तरीकों का इस्तेमाल न करें और मुंह से खून न चूसें। ओझा, गुनिया के पास न जायें और अन्धविश्वास में न पड़े। सांप काटने पर व्यक्ति को दिलासा दें और घटना के तथ्यों का पता लगायें। गीले कपड़े से डंक की जगह की चमड़ी को साफ करें, जिससे वहां पर लगा विष निकल जाये। सांप काटे व्यक्ति को करवट सुलायें, क्योंकि कई बार उल्टी भी होने लगती है, इसलिये करवट सुलाने से उल्टी श्वसन तंत्र में ना जाये। जहां पर सांप ने काटा है उस स्थान पर हल्के कपडे़ से बांध देवें, ताकि हिलना डुलना बंद हो जाये।

सांप काटे व्यक्ति को तत्काल नजदीकि अस्पताल ले जाने की व्यवस्था बनायें। सांप के काटने के जहर को मारने के लिये अस्पताल में निःशुल्क एंटी स्नेक इंजेक्शन लगाया जाता है। यह इंजेक्शन जिले के खंड स्तर के अस्पतालों में उपलब्ध है एवं डाक्टर द्वारा दी गई सलाह के अनुसार उचित उपचार करायें। सर्पदंश से बाचाव के लिए अंधेरे में न जायें। बिलों में हाथ न डालें। झाड़ियों में न जायें। पानी भरे गड्ढे में न जायें। पैरों में चप्पल और जूते पहनकर चलें।

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