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उत्तर प्रदेश
शिव के चमत्कार देखना हो तो नैमिष धाम आइए
सीतापुर : नैमिषारण्य की तपस्थली शिव के चमत्कारों की धरती है। इस तपोवन की भूमि पर कई पौराणिक शिवालय स्थित है। पूरे वर्ष भर इन शिवालयों शिव भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन सावन माह में यहां पर विभिन्न प्रांतों से श्रद्धाल ओं का मेला लगा रहता है।
तीर्थ के प्रमुख शिवालयों में देवदेवेश्वर धाम के बारे में यहां के कुछ पुजारी बताते है कि देवदेवेश्वर धाम की स्थापना स्वयं वायुदेव ने शिव आराधना के लिए की थी। इसका वर्णन वायु पुराण में है। कहा जाता है कि एक बार मुगल शासक बाबर ने इस शिव¨लग को तलवार से क्षतिग्रस्त करने का प्रयास किया, तो कई मधुमक्खियां और बर्र शिव¨लग से निकलकर बाबर पर हमला बोल दिया जिससे वह यहां से भागने को विवश हो गया था। लखनऊ से लगभग 90 किलो मीटर दूर जिला सीतापुर तापो भूमि के 88 हजार 33 करोड़ देवी देवता का स्थान पे बना बाबा देवदेवस्वर धाम जहा कुछ अलग ही बाबा का आशीर्वाद मिलता है बताया जाता है की
देवदेश्वर धाम सीतापुर-हरदोई रोड पर आदिगंगा गोमती किनारे स्थित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मंदिर का शिवलिंग द्वापर युग का है। देवदेवेश्वर का जिक्र वायुपुराण सहित अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है। हिन्दू धर्मावलम्बियों का मानना है कि वनवास के दौरान मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम व माता सीता ने इस मंदिर में पूजा की थी। ऐसी मान्यता है कि मंदिर की स्थापना स्वयं वायु देवता ने की थी। रोजाना अन्य प्रांतों के साथ ही क्षेत्र के हजारों श्रद्धालु देवदेश्वर धाम में पूजन करने आते हैं। भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के बाद सीता की मथानी छूकर मनोकामना करते हैं। पहले यह मथानी मंदिर परिसर में पड़ी थी। उस श्रद्धालु मथानी को उठाकर मन्नतें मांगते थे। उठाने और रखने में मथानी टूटने लगी थी। ऐसे में मंदिर के पुजारी ने मथानी को जाम करवा दिया।
सावन में यह लगता है अनूठा मेला
सावन में देवदेवेश्वर धाम में श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता है। रुद्राभिषेक, जलाभिषेक, महामृत्युंजय महामंत्र पाठ, शिवपुराण व रामचरित मानस के पाठ के लिए हजारों श्रद्धालु रोजाना आते हैं। माघ मास के मेले में रामनगरिया का भी आयोजन होता है। इसमें सन्त व गृहस्थ विरक्त भाव से एक महीने तक पूजा-पाठ के साथ कल्पवास करते हैं नैमिशारण्य से राहुल तिवारी की रिपोर्ट