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Asaduddin Owaisi: Waqf कानून पर सुप्रीम कोर्ट से पहले ओवैसी का हमला! क्या खत्म हो जाएंगी वक्फ संपत्तियां?

Asaduddin Owaisi: कल यानि 20 मई को सुप्रीम कोर्ट में Waqf कानून के खिलाफ दाखिल याचिकाओं की सुनवाई होनी है। इससे पहले AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर इस कानून की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पाकिस्तान पर भी निशाना साधा। ओवैसी ने अपने एक भाषण में कहा कि पहले संघ परिवार के लोग मुझे गालियां देते थे अब पड़ोसी देश पाकिस्तान ने मुझे दुल्हा भाई बना दिया है।

देश के लिए एकता और Waqf का मामला

ओवैसी ने कहा कि जब बात देश की आती है तो हम सब एक हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे किसी प्रधानमंत्री मोदी या अमित शाह के लिए नहीं बल्कि देश के लिए खड़े हैं। उन्होंने कहा कि जब भी हमारी संवैधानिक और कानूनी हक़ों पर कोई हमला करता है तो हम आवाज उठाते हैं। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में उलमा इक़रम के बलिदान को याद किया और कहा कि वे आज सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद कर रहे हैं।

Asaduddin Owaisi: Waqf कानून पर सुप्रीम कोर्ट से पहले ओवैसी का हमला! क्या खत्म हो जाएंगी वक्फ संपत्तियां?

Waqf कानून को असंवैधानिक करार दिया

ओवैसी ने नए Waqf कानून को असंवैधानिक बताया और आरोप लगाया कि इसका उद्देश्य Waqf संपत्तियों को खत्म करना है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब अलग-अलग मुद्दों के लिए कई कानून हैं तो कैसे Uniform Civil Code को यूनिफॉर्म कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह कानून न तो Waqf संपत्तियों की रक्षा करता है और न ही उनकी आय बढ़ाता है।

BJP और समर्थकों को चुनौती

ओवैसी ने BJP और Waqf (संशोधन) अधिनियम की तारीफ करने वालों को चुनौती दी कि वे बताएं कि इस नए कानून में कौन से प्रावधान अच्छे हैं। उन्होंने कहा कि पुराने कानून से कई अच्छे प्रावधान हटा दिए गए हैं। उन्होंने पूछा कि कौन सा ऐसा प्रावधान है जो Waqf संपत्तियों की रक्षा करता हो या जो अवैध अतिक्रमण को खत्म करता हो। उन्होंने कहा कि न सरकार और न ही उसके समर्थक इसका जवाब दे पाएंगे।

न्याय की उम्मीद और सवालों के घेरे में कानून

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में न्याय की उम्मीद करते हैं। उन्होंने कहा कि यह कानून न केवल Waqf संपत्तियों को नुकसान पहुंचाएगा बल्कि इसके द्वारा कई संवैधानिक अधिकारों को भी दबाया जा रहा है। उनका मानना है कि यह कानून सही मायनों में प्रगतिशील नहीं है बल्कि यह एक ऐसा कदम है जो समाज में मतभेद और असहमति को जन्म देगा।

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