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Axiom-4 Mission: अंतरिक्ष में गूंजा भारत का नाम, Axiom-4 मिशन बना देश की विज्ञान यात्रा का नया अध्याय

Axiom-4 Mission: 41 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद भारत ने अंतरिक्ष में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष की ओर 28 घंटे की यात्रा पूरी करने के बाद इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर कदम रखा। वह ऐसा करने वाले पहले भारतीय बन गए हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक का सफर तय किया है। वे अंतरिक्ष जाने वाले दुनिया के 634वें और भारत के दूसरे व्यक्ति हैं। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने यह गौरव प्राप्त किया था।

अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद शुभांशु शुक्ला ने अपने पहले संदेश में देशवासियों को धन्यवाद देते हुए कहा, “आपके प्यार और आशीर्वाद से मैं सुरक्षित अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुंच चुका हूं। यहां खड़े रहना आसान लगता है लेकिन यह वास्तव में एक चुनौती है।” उन्होंने कहा कि आने वाले 14 दिन बेहद रोमांचक होने वाले हैं और यह यात्रा विज्ञान के नए अध्याय लिखेगी। उनकी आवाज़ में देश के लिए गर्व, उत्साह और समर्पण साफ झलकता था।

Axiom-4 Mission: अंतरिक्ष में गूंजा भारत का नाम, Axiom-4 मिशन बना देश की विज्ञान यात्रा का नया अध्याय

तिरंगे के साथ गर्व से बोले: “मैं अकेला नहीं हूं”

शुभांशु ने अपने संदेश में कहा कि उनका सिर थोड़ा भारी लग रहा है और थोड़ी असहजता भी है, लेकिन यह सब छोटी बातें हैं। कुछ ही दिनों में वह इस वातावरण में पूरी तरह ढल जाएंगे। उन्होंने कहा कि “जब मैं तिरंगे को अपने कंधे पर महसूस करता हूं तो मुझे लगता है कि पूरा भारत मेरे साथ है।” यह भावना ही उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है और देशवासियों के दिलों को छू जाती है।

शुभांशु का यह सफर Axiom-4 मिशन के तहत हुआ है जिसे नासा, स्पेसएक्स और इसरो के संयुक्त सहयोग से फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया। इस मिशन में कुल चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं और सभी 14 दिनों तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर रहकर कुल 60 वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे। ये प्रयोग जीवन विज्ञान, अंतरिक्ष चिकित्सा, पर्यावरण और माइक्रोग्रैविटी पर आधारित होंगे जो भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं में अहम भूमिका निभाएंगे।

शुभांशु शुक्ला भारतीय वायु सेना में स्क्वाड्रन कमांडर हैं और उन्हें 2000 से अधिक घंटों का फ्लाइंग अनुभव है। उन्होंने कई मिशनों में भाग लिया है और अब उनका नाम भारत के उन गौरवशाली नामों में शामिल हो गया है जो अंतरिक्ष की दुनिया में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उनका यह सफर न केवल विज्ञान की दिशा में एक नई शुरुआत है बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है।

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