Ayurvedic Treatment: आयुर्वेद भारत की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणाली है जिसमें बीमारियों का इलाज जड़ी बूटियों खाने पीने और जीवनशैली के संतुलन से किया जाता है। इसमें शरीर को जड़ों से ठीक करने पर जोर दिया जाता है न कि सिर्फ लक्षणों को दबाने पर। लेकिन इसका पूरा लाभ उठाने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। सबसे अहम बात है कि दवाएं हमेशा सही समय पर ली जाएं। कुछ दवाएं खाली पेट ली जाती हैं तो कुछ खाने के बाद और कुछ विशेष समय पर ली जाती हैं। जैसे त्रिफला चूर्ण रात को सोने से पहले लेना फायदेमंद होता है। इसलिए हमेशा डॉक्टर द्वारा बताई गई समयसारिणी और मात्रा के अनुसार ही दवा लें ताकि शरीर को पूरी तरह फायदा मिल सके।
भोजन का संयम रखें और परहेज का ध्यान दें
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ आरपी पराशर बताते हैं कि उपचार के दौरान खाने पीने में विशेष सावधानी रखना जरूरी है। बहुत तली हुई चीजें बहुत मसालेदार खाना खट्टा या बहुत ठंडा पानी जैसी चीजें दवाओं के असर को कम कर सकती हैं। इसके अलावा कुछ चीजों को एक साथ खाने की सख्त मनाही होती है। जैसे मछली के साथ दूध नहीं लेना चाहिए या शहद और घी को बराबर मात्रा में नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे शरीर पर उल्टा असर हो सकता है। ऐसे संयम से ही दवाओं का असर सही तरीके से होता है और उपचार सफल बनता है।
डॉ आरपी पराशर का कहना है कि जब आप आयुर्वेदिक इलाज ले रहे होते हैं तो बिना डॉक्टर की सलाह के एलोपैथिक दवाएं नहीं लेनी चाहिए। कई बार दोनों तरह की दवाएं मिलकर शरीर पर गलत असर डाल सकती हैं जिससे स्वास्थ्य और बिगड़ सकता है। अगर किसी गंभीर बीमारी के लिए पहले से एलोपैथिक दवाएं ले रहे हैं तो इसकी जानकारी अपने आयुर्वेदिक डॉक्टर को जरूर दें ताकि वह सही मार्गदर्शन कर सकें और उपचार में किसी भी प्रकार की बाधा न आए। इस संतुलन से ही इलाज का फायदा ज्यादा मिलता है।
दिनचर्या सुधारें और नियमित रहें
आयुर्वेद सिर्फ दवा नहीं है बल्कि यह जीवनशैली सुधारने का विज्ञान भी है। इलाज के दौरान आपको अपनी दिनचर्या में अनुशासन रखना जरूरी है। समय पर उठना योग प्राणायाम करना समय पर खाना और पर्याप्त नींद लेना जरूरी होता है। देर रात तक जागना अनियमित भोजन करना और तनाव लेना उपचार में रुकावट पैदा कर सकता है। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आयुर्वेदिक दवाएं असर करें तो खुद को नियमित जीवनशैली में ढालना ही होगा तभी शारीरिक और मानसिक संतुलन बन पाएगा।
आयुर्वेद में सात्विक भोजन को सबसे अच्छा माना जाता है। इलाज के दौरान बासी खाना जंक फूड या केमिकल वाला पैक्ड फूड पूरी तरह छोड़ देना चाहिए। घर का बना ताजा खाना मौसमी फल और सब्जियां और हल्के मसाले वाला भोजन ही खाएं। इससे दवाओं का असर तेज होता है। साथ ही यह ध्यान रखना जरूरी है कि दवाओं के साथ पानी कैसे लिया जाए। कई बार गुनगुने पानी के साथ दवा लेने की सलाह दी जाती है ताकि पाचन बेहतर हो सके। खाने के तुरंत बाद बहुत ज्यादा पानी पीना मना होता है। दिनभर में पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें ताकि शरीर का आंतरिक संतुलन बना रहे और आयुर्वेदिक इलाज धीरे धीरे अपना असर दिखा सके।