Boycott Turkey: लखनऊ के अमौसी हवाई अड्डे से इस्तांबुल के लिए कोई सीधी उड़ान नहीं है; यात्रियों को दिल्ली होते हुए जाना पड़ता है, जिसमें 15 से 22 घंटे लगते हैं। हाल ही में, लखनऊ के 18 यात्रियों ने तुर्की की अपनी यात्रा रद्द कर दी है। इनमें व्यापारी, पर्यटक और धार्मिक गतिविधियों से जुड़े लोग शामिल हैं। एक ट्रैवल एजेंसी के अनुसार, पिछले एक महीने में 30 से अधिक एयर पैकेज बुक किए गए थे, जिनमें से 18 रद्द कर दिए गए हैं। इसके पीछे तुर्की की पाकिस्तान के प्रति समर्थन की स्थिति को प्रमुख कारण बताया गया है।
तुर्की द्वारा पाकिस्तान का समर्थन करने के विरोध में लखनऊ में मुस्लिम समुदाय ने प्रदर्शन किया। हुसैनाबाद के छोटे इमामबाड़े के बाहर आयोजित इस प्रदर्शन में राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के पोस्टर जलाए गए और तुर्की के साथ व्यापारिक संबंध समाप्त करने की मांग की गई। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे मौलाना सैयद घफ्फार अब्बास नकवी ने कहा कि जब तुर्की में भूकंप आया था, तब भारत ने सबसे पहले मदद की थी, लेकिन अब तुर्की पाकिस्तान को ड्रोन देकर भारत के खिलाफ कार्य कर रहा है।
राष्ट्रीय स्तर पर तुर्की का बहिष्कार
तुर्की और अज़रबैजान द्वारा पाकिस्तान के समर्थन के बाद, पूरे भारत में इन देशों का बहिष्कार किया जा रहा है। MakeMyTrip और EaseMyTrip जैसी ट्रैवल कंपनियों ने तुर्की और अज़रबैजान के लिए बुकिंग में 60% की गिरावट और 250% की वृद्धि की सूचना दी है। EaseMyTrip के संस्थापक निशांत पिट्टी ने कहा कि जब ये देश खुलेआम पाकिस्तान का समर्थन करते हैं, तो क्या हमें उनकी पर्यटन अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना चाहिए?
सरकारी और संस्थागत प्रतिक्रिया
केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने उन भारतीय पर्यटकों की सराहना की है जिन्होंने तुर्की और अज़रबैजान की यात्रा रद्द की है। उन्होंने नागरिकों से घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने और भारत के विभिन्न स्थलों का अन्वेषण करने का आग्रह किया है।
तुर्की के प्रति विरोध केवल पर्यटन तक सीमित नहीं है; व्यापारिक और शैक्षणिक संबंधों पर भी इसका असर पड़ा है। जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने तुर्की सरकार से जुड़े संस्थानों के साथ सभी समझौतों को निलंबित कर दिया है। उदयपुर के संगमरमर व्यापारियों ने तुर्की से आयात बंद कर दिया है, जो पहले भारत के संगमरमर आयात का 70% हिस्सा था।