Ujjwal Nikam: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80(1)(a) और उसके खंड (3) के अंतर्गत राज्यसभा के लिए चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों को नामित किया है। यह नामांकन उन सीटों को भरने के लिए किया गया है जो पूर्व नामांकित सदस्यों के सेवानिवृत्त होने के बाद रिक्त हो गई थीं। यह एक नियमित प्रक्रिया है जिसमें विशेषज्ञता और समाज में योगदान को देखते हुए सदस्यों को राज्यसभा में प्रतिनिधित्व दिया जाता है।
उज्ज्वल निकम: आतंक के खिलाफ न्याय की आवाज
मशहूर वकील उज्ज्वल देवरा निकम को उनके कानूनी क्षेत्र में असाधारण योगदान के लिए राज्यसभा में नामांकित किया गया है। वे 26/11 मुंबई हमले के मामले में अजमल कसाब को फांसी की सजा दिलवाने में मुख्य भूमिका निभा चुके हैं। उन्होंने 1993 मुंबई बम धमाकों जैसे कई हाई-प्रोफाइल मामलों में भी महाराष्ट्र सरकार का पक्ष मजबूती से रखा है।
Shri Ujjwal Nikam’s devotion to the legal field and to our Constitution is exemplary. He has not only been a successful lawyer but also been at the forefront of seeking justice in important cases. During his entire legal career, he has always worked to strengthen Constitutional…
— Narendra Modi (@narendramodi) July 13, 2025
सी सदानंदन मास्टे: शिक्षा और सेवा का समर्पित चेहरा
केरल से समाजसेवा और शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले वरिष्ठ कार्यकर्ता सी सदानंदन मास्टे को भी नामांकित किया गया है। उन्होंने वर्षों से शिक्षा के प्रचार-प्रसार और समाज के वंचित वर्गों के उत्थान के लिए कार्य किया है। उनका नामांकन यह दर्शाता है कि संसद में समाजसेवा के क्षेत्र की आवाज को भी महत्व दिया जा रहा है।
हर्षवर्धन श्रृंगला: विदेश नीति के अनुभवी रणनीतिकार
1984 बैच के भारतीय विदेश सेवा अधिकारी हर्षवर्धन श्रृंगला भारत के विदेश सचिव रह चुके हैं। उन्होंने अमेरिका, बांग्लादेश और थाईलैंड में राजदूत के तौर पर सेवा दी है। कोविड-19 महामारी और यूक्रेन से भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी जैसे संकटों में उनके कुशल नेतृत्व की सराहना की गई है। उनके अनुभव को अब संसद में देशहित के लिए प्रयोग किया जाएगा।
मीना काशी जैन: इतिहास लेखन में नई दृष्टि की वाहक
इतिहासकार और शिक्षाविद मीना काशी जैन भारतीय इतिहास के कई महत्वपूर्ण विषयों पर शोध और लेखन कर चुकी हैं। उनके द्वारा लिखी गई किताबें अकादमिक जगत में चर्चित रही हैं। उनके विचार और अध्ययन संसद में ऐतिहासिक दृष्टिकोण को मजबूती प्रदान करेंगे। उनका चयन यह बताता है कि अकादमिक और बौद्धिक योगदान भी संसद के मंच पर सम्मानित होता है।