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‘गोल गुंबज अब वक्फ की नहीं रही?’ Asaduddin Owaisi के इस बयान से गरमा गई राजनीति

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख Asaduddin Owaisi ने केंद्र सरकार और एनडीए के सहयोगी दलों पर जोरदार हमला बोला है। आंध्र प्रदेश के कुर्नूल में एक जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने वक्फ कानून को लेकर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह कानून इस तरह से बनाया गया है जिससे मस्जिदों, दरगाहों और कब्रिस्तानों की मालिकाना हक वक्फ बोर्ड से छीनकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को दे दिया गया है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कुर्नूल की गोल गुम्बद दरगाह अब वक्फ बोर्ड के नहीं बल्कि ASI की संपत्ति मानी जा रही है।

ओवैसी ने वक्फ कानून को लेकर ना सिर्फ केंद्र सरकार बल्कि एनडीए के सहयोगी दलों पर भी निशाना साधा। उन्होंने खासकर तेलुगू देशम पा€र्टी (TDP) के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और जनसेना नेता पवन कल्याण को आड़े हाथों लिया। उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि वे वक्फ संपत्तियों और शरीअत जैसे मुद्दों पर किसी भी राजनीतिक दल से समझौता न करें। उन्होंने कहा कि यह समय है जब संविधान और शरीअत की रक्षा के लिए मजबूती से खड़ा होना चाहिए।

कांवड़ यात्रा से पहले उत्तर प्रदेश में बढ़ी सख्ती पर भी टिप्पणी

ओवैसी ने उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा को लेकर प्रशासन द्वारा की जा रही सख्ती पर भी सवाल उठाए। उन्होंने दावा किया कि मुज़फ्फरनगर में कुछ लोगों ने एक दुकानदार से उसका नाम पूछा और जब उसने नाम बताने से इनकार किया तो उससे आधार कार्ड मांग लिया गया। दुकानदार ने जब कहा कि दुकान का नाम उसकी मर्ज़ी से रखा गया है, तो उसे अपशब्द कहे गए। बाद में पता चला कि वह दुकानदार कोई मुसलमान नहीं बल्कि गोपाल नाम का हिन्दू था।

‘नफरत फैल रही है देश में’ – ओवैसी

इस घटना का ज़िक्र करते हुए ओवैसी ने कहा कि यह सब एक बढ़ती हुई सांप्रदायिक नफरत का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि आज के माहौल में लोगों को शक की नज़र से देखा जा रहा है और धर्म के नाम पर परेशान किया जा रहा है। उन्होंने इस मानसिकता की आलोचना करते हुए कहा कि इस तरह की घटनाएं देश को तोड़ने वाली हैं और संविधान की आत्मा के खिलाफ हैं।

अपने भाषण के अंत में ओवैसी ने लोगों से अपील की कि वे धर्म और मस्जिदों के मुद्दे पर पार्टी राजनीति से ऊपर उठें। उन्होंने कहा कि जब बात शरीअत और धर्म की हो तो सभी को मिलकर आवाज़ उठानी चाहिए। उन्होंने कहा कि चाहे कोई किसी भी पार्टी का समर्थक हो, लेकिन जब धार्मिक पहचान खतरे में हो, तो एकता ही सबसे बड़ा जवाब होती है।

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