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Operation Midnight Hammer में भारत नहीं था शामिल! अमेरिकी जनरल और PIB की पुष्टि से खत्म हुई अफवाहें

Operation Midnight Hammer: हाल ही में सोशल मीडिया पर यह अफवाह तेज़ी से फैली कि अमेरिका ने ईरान पर हमला करने के लिए भारत के हवाई क्षेत्र का उपयोग किया है। यह दावा “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” के तहत अमेरिकी लड़ाकू विमानों द्वारा किए गए हमलों के बाद सामने आया। कुछ सोशल मीडिया अकाउंट्स ने यहां तक लिख दिया कि भारत ने अमेरिका को अनुमति दी थी कि वह अपनी सीमा से होकर उड़ान भर सके। इस खबर ने काफी भ्रम पैदा किया और लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई।

PIB फैक्ट चेक का जवाब: ‘भारत की हवाई सीमा का उपयोग नहीं हुआ’

इन अफवाहों के बीच भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली फैक्ट चेक इकाई PIB Fact Check ने स्पष्ट रूप से इन दावों को झूठा बताया है। PIB ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि “अमेरिका ने ईरान पर हमला करने के लिए भारत के हवाई क्षेत्र का कोई इस्तेमाल नहीं किया है। यह दावा पूरी तरह फर्जी है।” इस बयान ने सोशल मीडिया पर चल रही तमाम चर्चाओं पर विराम लगा दिया।

 जनरल डैन केन ने बताया हमले का असली रूट

अमेरिका के चीफ ऑफ ज्वाइंट स्टाफ, जनरल डैन केन ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात की पुष्टि की कि अमेरिकी फाइटर जेट्स ने किस रूट से उड़ान भरी थी। उन्होंने कहा कि भारत की हवाई सीमा को छुआ भी नहीं गया। यह बयान अमेरिकी सरकार के उच्च स्तर से आया है और इसने भारत की स्थिति को और साफ कर दिया है कि वह इस हमले में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शामिल नहीं है।

ईरान पर हमला: तीन परमाणु ठिकाने निशाने पर

13 जून से चल रहे ईरान-इज़राइल संघर्ष में अमेरिका ने शनिवार रात को सीधा हस्तक्षेप किया। “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” के तहत अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों – फोर्डो, नतांज़ और इस्फहान – को निशाना बनाया। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले की पुष्टि अपनी सोशल मीडिया साइट “ट्रुथ सोशल” पर की और कहा कि सबसे बड़ा हमला फोर्डो पर किया गया है जो अब पूरी तरह नष्ट हो चुका है।

भारत की भूमिका: संयम और शांति की अपील

भारत ने इस पूरे घटनाक्रम में खुद को तटस्थ और शांति समर्थक राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत किया है। भारत ने न तो अमेरिका के हमले में कोई भागीदारी की और न ही किसी पक्ष को समर्थन दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे पहले ईरान के राष्ट्रपति से बात कर क्षेत्रीय शांति की बहाली और कूटनीति के जरिए समाधान की वकालत की थी। भारत की यह भूमिका विश्व मंच पर उसकी छवि को और मजबूत करती है।

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