Indian Constitution: बीजेपी प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को एक बार फिर से आड़े हाथों लिया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर 1975 के एक अख़बार की कतरन साझा करते हुए इंदिरा गांधी पर भारतीय संविधान की आत्मा को बदलने की कोशिश करने का आरोप लगाया। इस अख़बार की हेडलाइन में लिखा था, “इंदिरा गांधी संविधान में बुनियादी बदलाव करना चाहती हैं।” भंडारी ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह अफवाह नहीं बल्कि सच्चाई है और यह उस समय के टाइम्स ऑफ इंडिया के पहले पन्ने की खबर है जो उनकी तानाशाही मानसिकता को उजागर करती है।
तानाशाही की ओर कदम बताकर कांग्रेस पर हमला
प्रदीप भंडारी ने कहा कि अगर भारतीय जनता और लोकतंत्र की भावना मज़बूत नहीं होती तो देश पूरी तरह तानाशाही के अंधेरे में चला जाता। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उस समय पार्टी ने केवल सत्ता बनाए रखने के लिए संविधान के मूल ढांचे को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की। उन्होंने इसे “तानाशाही की दिशा में खतरनाक कदम” बताया और कहा कि देशवासियों को गर्व होना चाहिए कि उन्होंने उस समय लोकतंत्र को बचाया।
Indira Gandhi tried to rewrite the soul of the Indian Constitution!
This isn’t hearsay—here’s the original Times of India front page from 30 December 1975, exposing her authoritarian ambition.
Thank the people of India and our democratic spirit—we narrowly escaped a full-blown… pic.twitter.com/XVCktArv75
— Pradeep Bhandari(प्रदीप भंडारी)🇮🇳 (@pradip103) June 27, 2025
आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर भी किया हमला
25 जून 2025 को आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर भी प्रदीप भंडारी ने कांग्रेस और इंदिरा गांधी पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि 1975 में गांधी-वाड्रा परिवार और कांग्रेस ने जानबूझकर संविधान और लोकतंत्र की हत्या की थी। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने इन 50 वर्षों में एक बार भी देश से माफी नहीं मांगी है। उनके अनुसार, यह वह समय था जब यह तय किया जाता था कि जनता क्या कह सकती है और क्या नहीं।
भंडारी ने कहा कि 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल ने लोकतंत्र की नींव को हिला दिया था। उन्होंने बताया कि इस दौरान लाखों लोगों को बिना कारण जेल में डाल दिया गया। सैकड़ों पत्रकारों को सिर्फ इसलिए बंदी बना लिया गया क्योंकि उन्होंने सरकार के खिलाफ सच लिखने की हिम्मत दिखाई। यह भारत के इतिहास का एक काला अध्याय है जिसे कभी नहीं भुलाया जाना चाहिए। उन्होंने इसे “संविधान की हत्या” बताया।
बीजेपी प्रवक्ता ने यह भी आरोप लगाया कि आपातकाल के दौरान सरकार ने ज़बरदस्ती नसबंदी जैसे अमानवीय कदम उठाए। उन्होंने कहा कि उस दौर में बिना सुनवाई के गिरफ्तारी हुई, परिवार बिखर गए और लोगों की आवाज़ को दबा दिया गया। लोकतांत्रिक संस्थाओं पर नियंत्रण कर लिया गया और जनता की स्वतंत्रता छीन ली गई। उनका कहना है कि यह दौर देश के लिए सबक है और आने वाली पीढ़ियों को इसे याद रखना चाहिए ताकि ऐसी स्थिति फिर न आए।