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International Yoga Day 2025: हर 10 में से 1 महिला को है ये बीमारी, योग से बदल सकती है ज़िंदगी! DNA तक करता है असर

International Yoga Day 2025: हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद लोगों को योग के महत्व के बारे में जागरूक करना है। बीते कुछ वर्षों में लोगों के बीच योग को लेकर जागरूकता बढ़ी है। कई रिसर्च में यह बात साबित हो चुकी है कि योग न सिर्फ बीमारियों को कंट्रोल कर सकता है बल्कि कई मामलों में उन्हें खत्म भी कर सकता है। दिल्ली एम्स ने भी इस पर एक बड़ी रिसर्च की है जिसमें पाया गया कि नियमित योग से महिलाओं में होने वाली पीसीओएस यानी पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम को न सिर्फ कंट्रोल किया जा सकता है बल्कि इसके मूल कारण यानी माइटोकॉन्ड्रिया की सेहत को भी बेहतर बनाया जा सकता है। ये रिसर्च इंटरनेशनल जर्नल ऑफ योगा में छपी है और इसका नाम है “Yoga’s Effect on Mitochondrial Health in PCOS: A Randomized Controlled Trial”।

क्या है पीसीओएस और कैसे करता है असर

पीसीओएस एक हार्मोनल समस्या है जिसमें महिलाओं की ओवरी में छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं जिससे हार्मोन असंतुलन हो जाता है। इस वजह से पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं, चेहरे पर बाल बढ़ने लगते हैं, मुंहासे हो जाते हैं और कई बार बांझपन की भी समस्या आ जाती है। एम्स की रिसर्च में सामने आया कि भारत में हर दस में से एक महिला इस बीमारी से जूझ रही है। अब तक इसका इलाज दवाओं और हार्मोन थेरेपी के ज़रिए किया जाता था लेकिन अब योग की मदद से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। रिसर्च में यह भी सामने आया है कि योग करने से शरीर के अंदर के सेल्स का डीएनए डैमेज भी कम होता है और प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट्स बढ़ जाते हैं।

International Yoga Day 2025: हर 10 में से 1 महिला को है ये बीमारी, योग से बदल सकती है ज़िंदगी! DNA तक करता है असर

रिसर्च में क्या निकला सामने

एम्स की प्रोफेसर डॉ रीमा डाडा ने टीवी9 से बातचीत में बताया कि इस रिसर्च में कुल 75 महिलाओं को शामिल किया गया। इनमें से 32 महिलाओं ने 12 हफ्तों तक नियमित योग किया जबकि बाकी 29 महिलाओं ने कोई विशेष योग अभ्यास नहीं किया। योग सत्र में आसन, प्राणायाम और ध्यान शामिल थे। योग करने वाली महिलाओं के टेस्टोस्टेरोन लेवल में कमी देखी गई और उनके शरीर में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस भी कम हुआ। इन महिलाओं के शरीर में TAC यानी टोटल एंटीऑक्सीडेंट कैपेसिटी बढ़ गई और डीएनए डैमेज में भी गिरावट आई। इसका मतलब ये हुआ कि योग न सिर्फ लक्षणों को कम करता है बल्कि कोशिकाओं के स्तर पर भी सुधार करता है।

कौन-कौन से योगासन फायदेमंद हैं

डॉ रीमा के मुताबिक पहली बार किसी रिसर्च में पीसीओएस और माइटोकॉन्ड्रियल हेल्थ को आपस में जोड़ा गया है। योग सिर्फ हार्मोनल नहीं बल्कि जेनेटिक और मॉलिक्यूलर स्तर पर भी फायदेमंद है। योग शरीर के अंदरूनी सिस्टम को मज़बूत करता है जिससे भविष्य में हार्मोनल असंतुलन, मोटापा और बांझपन जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है। डॉ रीमा कहती हैं कि खराब जीवनशैली और गड़बड़ खानपान की वजह से महिलाओं में पीसीओएस तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में लाइफस्टाइल को सुधारना ज़रूरी है और योग इसमें सबसे आसान व असरदार उपाय है। पीसीओएस को कंट्रोल करने के लिए नियमित योग करना चाहिए। विशेष रूप से बद्धकोणासन, धनुरासन, भुजंगासन और मेडिटेशन बेहद लाभकारी माने गए हैं। ये न सिर्फ शारीरिक संतुलन बनाते हैं बल्कि मानसिक तनाव भी कम करते हैं।

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