ISRO Satellite EOS-09: आज सुबह 5 बजकर 59 मिनट पर ISRO ने PSLV-C61 रॉकेट से EOS-09 सैटेलाइट को लॉन्च किया था लेकिन यह मिशन पूरी तरह सफल नहीं हो पाया। ISRO प्रमुख वी नारायणन ने बताया कि तीसरे चरण में तकनीकी खराबी आने की वजह से मिशन को पूरा नहीं किया जा सका। हालांकि पहले और दूसरे चरण की प्रक्रिया सामान्य रही लेकिन तीसरे चरण में समस्या आ गई जिससे मिशन अधूरा रह गया। अब इस पूरे डेटा का विश्लेषण किया जाएगा और फिर मिशन पर दोबारा काम शुरू किया जाएगा।
क्या था मिशन EOS-09 का मकसद
EOS-09 को पृथ्वी की सन सिंक्रोनस ऑर्बिट यानी SSPO में स्थापित करना था जिससे यह पृथ्वी के चारों ओर एक निश्चित दूरी पर लगातार घूम सके। इस सैटेलाइट का मुख्य उद्देश्य था विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वालों को सटीक और नियमित रिमोट सेंसिंग डेटा उपलब्ध कराना। इससे खेती जल प्रबंधन वन संरक्षण और शहरी विकास जैसे कामों में बड़ी मदद मिलने वाली थी।
#WATCH | Sriharikota, Andhra Pradesh | On the launch of PSLV-C61, ISRO Chief V Narayanan says, "…During the functioning of the third stage, we are seeing an observation and the mission could not be accomplished. After analysis, we shall come back…"
(Source: ISRO YouTube) pic.twitter.com/XvPpo7dfbn
— ANI (@ANI) May 18, 2025
EOS-09 को खास तौर पर ऐसी तकनीक से बनाया गया था जिससे यह किसी भी मौसम में चाहे दिन हो या रात बादल हों या कोहरा हमेशा स्पष्ट और उच्च गुणवत्ता की तस्वीरें लेने में सक्षम होता। इसमें एडवांस रडार इमेजिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया था जिससे यह खराब परिस्थितियों में भी स्पष्ट जानकारी दे सकता था। इससे यह उपग्रह उन इलाकों में भी तस्वीरें भेज सकता था जहां सामान्य कैमरे काम नहीं कर सकते।
रक्षा क्षेत्र में मिलती बड़ी मदद
इस सैटेलाइट का एक और बड़ा उद्देश्य था देश की रक्षा से जुड़ी गतिविधियों में मदद करना। EOS-09 से सीमा पर निगरानी करना संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखना और रणनीतिक क्षेत्रों का नक्शा तैयार करना बेहद आसान हो जाता। इसकी हाई रिजोल्यूशन इमेजिंग क्षमता से सेना को जरूरी और महत्वपूर्ण डेटा मिल सकता था जिससे सुरक्षा और निगरानी प्रणाली और मजबूत हो जाती।
ISRO प्रमुख ने कहा है कि अब इस पूरी तकनीकी समस्या का विश्लेषण किया जाएगा और उसके बाद मिशन पर दोबारा काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि हमें उम्मीद है कि हम जल्द ही इस तकनीकी खामी को दूर कर लेंगे और EOS-09 को दोबारा लॉन्च करेंगे। यह मिशन भले ही असफल रहा हो लेकिन इससे हमें सीख भी मिली है और हम भविष्य में और बेहतर तैयारी के साथ लौटेंगे। ISRO की टीम पहले भी कई बार चुनौतियों से जूझ चुकी है और हर बार और मजबूत होकर सामने आई है।