अमेरिका की फेडरल ट्रेड कमीशन (FTC) ने एक नया नियम लाने की तैयारी की थी जिसे ‘क्लिक-टू-कैंसिल’ कहा गया। इस नियम का उद्देश्य था कि जैसे कोई यूजर एक क्लिक में Netflix या Amazon Prime जैसी सेवाओं की सदस्यता ले सकता है वैसे ही उसे एक क्लिक में रद्द करने की सुविधा भी मिले। साथ ही कंपनियों को यह बताना अनिवार्य होता कि फ्री ट्रायल कब खत्म होगा और उसके बाद भुगतान कैसे लिया जाएगा।
अमेरिका की एठ सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स ने इस नियम पर रोक लगाते हुए कहा कि FTC ने इसके आर्थिक प्रभावों का पूरा विश्लेषण नहीं किया। कोर्ट के अनुसार, यह नियम 100 मिलियन डॉलर से अधिक का असर डाल सकता था इसलिए पहले आर्थिक अध्ययन अनिवार्य था। FTC द्वारा इस ज़रूरी प्रक्रिया की अनदेखी करने की वजह से कोर्ट ने नियम को लागू होने से पहले ही रोक दिया।
कंपनियों की चालबाजियों का खेल
जब आप Amazon Prime जैसी सेवाओं को बंद करने जाते हैं तो अक्सर कंपनियां आपको नए ऑफर्स देती हैं जैसे अगला महीना आधे दाम में या दो महीने फ्री। इन प्रमोशनल ऑफर्स के बहाने यूजर को फिर से ऑटो-रिन्यूअल के जाल में फंसा लिया जाता है। इस कारण लोग चाह कर भी अपनी सदस्यता रद्द नहीं कर पाते और अनजाने में पैसे कटते रहते हैं।
Amazon पर अभी भी है जांच की तैयारी
FTC भले ही इस नियम को लागू नहीं कर पाई लेकिन उसने Amazon के खिलाफ कानूनी तैयारी जारी रखी है। FTC का आरोप है कि Amazon ने लोगों को Prime में बिना स्पष्ट अनुमति जोड़ा और सब्सक्रिप्शन रद्द करने की प्रक्रिया को इतना जटिल बना दिया कि लोग परेशान हो जाते हैं। आने वाले समय में इस मुद्दे पर ट्रायल भी हो सकता है।
‘Click-to-Cancel’ नियम लागू होने से उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिल सकती थी लेकिन अब इस पर रोक लगने से वे फिर से कंपनियों की जटिल शर्तों और चालबाजियों में फंस सकते हैं। ऐसे में लोगों को सावधान रहने की जरूरत है और हर ऑनलाइन सेवा लेते वक्त उसकी रद्द करने की प्रक्रिया को पहले समझ लेना जरूरी हो गया है।