Rahul Gandhi: बिहार विधानसभा चुनाव का आधिकारिक ऐलान तो नहीं हुआ है लेकिन राजनीतिक माहौल पूरी तरह गरम हो चुका है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार बिहार में अपनी खोई हुई जनसमर्थन को वापस पाने की कोशिश में लगे हुए हैं। शुक्रवार को राहुल नालंदा और गया के दौरे पर रहेंगे जो कि नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी के गढ़ माने जाते हैं। नालंदा में वह पिछड़ी जाति के मतदाताओं से जुड़ने का प्रयास करेंगे जबकि गया में मांझी के परिवार से मिलकर एक बड़ा राजनीतिक संदेश देने की योजना है।
राहुल गांधी का दलित और पिछड़ा वर्ग पर फोकस
राहुल गांधी की नजर बिहार में दलित मुस्लिम और पिछड़े वर्ग के वोट बैंक पर है। गया में वह सबसे पहले दशरथ मांझी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करेंगे और उनके परिवार से मिलेंगे। कांग्रेस ने पहले ही मांझी के पुत्र को पार्टी में शामिल किया है जो राजनीतिक तौर पर बड़ा संकेत माना जा रहा है। मांझी के गढ़ गया में मुसहर समुदाय की मजबूत पैठ है जो महादलित वर्ग का हिस्सा है और 3-4 प्रतिशत की आबादी रखता है। कांग्रेस की रणनीति इसी समुदाय के वोट हासिल करने की है।
नीतीश कुमार के गढ़ नालंदा में कांग्रेस की सधी हुई रणनीति
दशरथ मांझी के परिवार से मुलाकात के बाद राहुल सीधे नालंदा पहुंचेंगे जहां वह राजगीर में आयोजित संविधान सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यहां वह पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग के छात्रों और जनता से बातचीत करेंगे। नालंदा नीतीश कुमार का गृह जिला है और उनकी राजनीतिक ताकत का केंद्र भी माना जाता है। कांग्रेस की इस कोशिश का मकसद नीतीश कुमार के मजबूत वोट बैंक में सेंध लगाना और सामाजिक न्याय के एजेंडे को मजबूत करना है।
दलित और पिछड़े वर्ग के वोट बैंक पर कांग्रेस का दांव
बिहार में दलित और पिछड़े वर्ग के वोट किसी भी गठबंधन की जीत के लिए बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं। यह वोट बैंक लगभग 53 प्रतिशत है जिसमें दलित 17 प्रतिशत और पिछड़े वर्ग 36 प्रतिशत आबादी हैं। नीतीश कुमार दो दशकों से इस वोट बैंक के दम पर सत्ता में हैं लेकिन अब उनकी स्थिति कमजोर होती दिख रही है। राहुल गांधी इस मौके को भुनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं और इसी वजह से वे लगातार बिहार दौरे कर रहे हैं। उनकी रणनीति में युवाओं महिलाओं और पिछड़े वर्ग को जोड़ना भी शामिल है।
पांच महीने में पांचवीं बार राहुल गांधी का बिहार दौरा
पिछले पांच महीनों में यह राहुल गांधी का बिहार का पांचवां दौरा होगा। उन्होंने जनवरी में पटना में संविधान सुरक्षा कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। फरवरी में जगरलाल चौधरी की पुण्यतिथि पर पटना आए। अप्रैल में पटना में संविधान सम्मेलन में शामिल हुए। मई में दरभंगा में पिछड़े वर्ग के छात्रों से मिले और अब जून में नालंदा और गया में पिछड़े वर्ग और महिलाओं से संवाद करेंगे। राहुल की कोशिश है कि बिहार में रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र में हुए घाटे को लेकर जनता के बीच कांग्रेस का संदेश पहुंचाएं। यह उनके लिए नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है।