RSV Infection: हर साल लाखों बच्चे एक खतरनाक वायरस से प्रभावित होते हैं जिसे रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस यानी RSV कहा जाता है। यह वायरस खासकर छह महीने से छोटे बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। यह बीमारी दुनिया भर में बच्चों की मृत्यु का एक बड़ा कारण बन चुकी है। लंबे समय तक यह वायरस डॉक्टरों और माता-पिता के लिए एक चुनौती बना रहा लेकिन अब विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने पहली बार इसके बचाव के लिए दो प्रभावी उपायों को अपनाने की सिफारिश की है जिससे इस जानलेवा बीमारी को रोका जा सके।
WHO ने इस वायरस से बचाव के लिए दो उपायों को अपनाने की सिफारिश की है। इनमें से पहला उपाय गर्भवती महिलाओं को दिया जाने वाला एक टीका है और दूसरा नवजात बच्चों को दिया जाने वाला मोनोक्लोनल एंटीबॉडी इंजेक्शन है। अब लोगों को यह जानना जरूरी है कि ये दोनों उपाय क्या हैं और कब इनका इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पहल इस वायरस से बचाव में एक बड़ा कदम माना जा रहा है और इससे हजारों बच्चों की जान बचाई जा सकती है।
RSV के लक्षण कैसे पहचानें
RSV वायरस श्वसन तंत्र और फेफड़ों पर हमला करता है और यह छींंकने खांसने और नजदीकी संपर्क से तेजी से फैलता है। वयस्कों के लिए यह वायरस सामान्य सर्दी जैसा होता है लेकिन छोटे बच्चों के लिए यह जानलेवा हो सकता है। शुरुआत में इसके लक्षण मामूली लग सकते हैं जैसे बहती नाक हल्का बुखार छींक खांसी दूध पीने में परेशानी या बच्चा चिड़चिड़ा होना। लेकिन अगर बच्चा तेजी से या मुश्किल से सांस ले रहा हो सीने से आवाज आ रही हो होंठ या उंगलियां नीली पड़ रही हों या सांस लेने में रुकावट हो तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं के लिए टीका है सुरक्षा कवच
WHO की सिफारिश के अनुसार गर्भवती महिलाओं को 28वें सप्ताह के बाद RSV का टीका दिया जा सकता है जिसे मैटरनल वैक्सीन कहते हैं। यह वैक्सीन मां के शरीर में एंटीबॉडी बनाता है जो गर्भ में पल रहे बच्चे तक पहुंचते हैं। इससे बच्चा जन्म के बाद कुछ महीनों तक RSV से सुरक्षित रहता है। यह वैक्सीन सामान्य प्रेग्नेंसी चेकअप के दौरान आसानी से दिया जा सकता है और इससे मां और बच्चे दोनों को फायदा होता है। यह खासकर उन इलाकों के लिए जरूरी है जहां यह वायरस तेजी से फैलता है।
नवजात बच्चों को सीधे दिया जाने वाला नीरसेविमैब नामक इंजेक्शन वायरस से तुरंत लड़ने में मदद करता है। यह इंजेक्शन पहले से तैयार एंटीबॉडी को शरीर में पहुंचाता है जिससे शरीर तुरंत वायरस से लड़ना शुरू कर देता है। एक बार दिया गया इंजेक्शन करीब पांच महीने तक बच्चे को सुरक्षा देता है। यह इंजेक्शन खासतौर पर उन क्षेत्रों में फायदेमंद है जहां RSV का प्रकोप खास मौसम में तेजी से बढ़ता है। यह इंजेक्शन नवजात की सेहत के लिए एक वरदान साबित हो सकता है अगर समय पर लगाया जाए।