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Saket Gokhale: 13 और 23 जून की गलती पर भारी पड़े 50 लाख: जब TMC सांसद को झुकना पड़ा अदालत के सामने

टीएमसी सांसद Saket Gokhale ने पूर्व राजनयिक लक्ष्मी पुरी पर लगाए गए झूठे आरोपों के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांग ली है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि मैं 13 और 23 जून 2021 को लक्ष्मी पुरी के खिलाफ किए गए सभी पोस्ट्स के लिए बिना शर्त माफी मांगता हूं। उन्होंने स्वीकार किया कि उनके द्वारा लगाए गए आरोप झूठे और बिना किसी प्रमाण के थे। यह मामला बीते कुछ वर्षों से काफी चर्चा में रहा है।

किस बात को लेकर हुआ था विवाद

यह विवाद तब शुरू हुआ था जब साकेत गोखले ने 2021 में सोशल मीडिया पर लक्समी पुरी और उनके पति हरदीप सिंह पुरी पर विदेशी संपत्ति खरीदने को लेकर आरोप लगाए थे। गोखले ने दावा किया था कि इस जोड़े ने 2006 में स्विट्जरलैंड के जिनेवा शहर में 1.6 मिलियन स्विस फ्रैंक की संपत्ति खरीदी थी और यह पैसा कथित रूप से काले धन से जुड़ा था। उन्होंने यह भी सवाल उठाया था कि उस समय लक्समी पुरी की आय इतनी अधिक कैसे हो सकती थी कि वह इतनी महंगी संपत्ति खरीद सकें।

दिल्ली हाईकोर्ट ने लगाई 50 लाख की हर्जाना राशि

लक्ष्मी पुरी ने इन आरोपों को झूठा और अपमानजनक बताते हुए साकेत गोखले पर मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। कोर्ट में सुनवाई के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने गोखले को दोषी ठहराया और उन पर 50 लाख रुपये का हर्जाना लगाया। साथ ही अदालत ने उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का भी आदेश दिया। साकेत गोखले ने इस फैसले के खिलाफ अपील की थी लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी और आदेश को बरकरार रखा।

सैलरी जब्ती और कोर्ट का सख्त रुख

जुलाई 2024 में कोर्ट ने साकेत गोखले की सांसद सैलरी को जब्त करने का भी आदेश दिया था ताकि हर्जाना राशि की वसूली की जा सके। यह कदम अदालत की सख्त मंशा को दिखाता है कि मानहानि जैसे मामलों में अब कोई ढील नहीं दी जाएगी। यह मामला राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया था क्योंकि इसमें एक राजनयिक और केंद्रीय मंत्री का नाम शामिल था। आखिरकार गोखले को माफी मांगनी पड़ी और उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपनी गलती को स्वीकार किया।

सार्वजनिक माफी और भविष्य का संकेत

सोशल मीडिया पर सार्वजनिक माफी के बाद यह मामला एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आ गया है। गोखले ने लिखा कि उन्हें अपने किए गए कृत्य पर खेद है और आगे से ऐसा कोई भी आरोप बिना सत्यापन के नहीं लगाएंगे। इस घटना से यह सीख मिलती है कि सार्वजनिक जीवन में जिम्मेदारी के साथ बोलना कितना जरूरी है। यह मामला उन सभी लोगों के लिए चेतावनी है जो सोशल मीडिया का उपयोग बिना तथ्यों की पुष्टि किए करते हैं।

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