SpaceX : एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने एक बार फिर अपनी तकनीकी ताकत का लोहा मनवाया है। इस बार कंपनी ने स्टारलिंक के 23 नए V2 मिनी सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। ये सभी सैटेलाइट्स लोअर अर्थ ऑर्बिट यानी LEO में स्थापित किए गए हैं। स्पेसएक्स ने इसके लिए अपने नए फाल्कन 9 बूस्टर रॉकेट का इस्तेमाल किया है। इनमें से 13 सैटेलाइट्स डायरेक्ट टू सेल क्षमता से लैस हैं जबकि बाकी इंटरनेट सेवा के लिए लगाए गए हैं।
भारत में जल्द शुरू होगी स्टारलिंक की ब्रॉडबैंड सेवा
भारत में भी अब सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा की शुरुआत होने वाली है और इसमें सबसे आगे है एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक। कंपनी को भारत सरकार से लेटर ऑफ इंटेंट यानी मंशापत्र मिल चुका है। हालांकि सेवा शुरू करने से पहले स्टारलिंक को स्पेक्ट्रम अलॉटमेंट का इंतजार है। भारत में लॉन्च से पहले ही स्टारलिंक ने आधे से ज्यादा प्लान किए गए 6000 से ज्यादा सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में भेज दिया है।
Watch Falcon 9 launch 23 @Starlink satellites to orbit from Florida, including 13 with Direct to Cell capabilities https://t.co/TAZ3bcly5V
— SpaceX (@SpaceX) May 21, 2025
स्टारलिंक की सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा इस वक्त दुनिया के 105 से ज्यादा देशों में उपलब्ध है। हाल ही में कंपनी ने भारत के पड़ोसी देशों भूटान और बांग्लादेश में भी अपनी सेवा शुरू की है। अब भारत में इसके आने से दूर-दराज के इलाकों में इंटरनेट की कनेक्टिविटी मिल सकेगी। एलन मस्क की इस योजना से देश के डिजिटल भविष्य में बड़ा बदलाव आने की संभावना है।
क्या होती है डायरेक्ट टू सेल कनेक्टिविटी
डायरेक्ट टू सेल तकनीक से मोबाइल फोन बिना किसी मोबाइल टावर के सीधे सैटेलाइट से जुड़ सकते हैं। इससे कॉल करना, मैसेज भेजना और इंटरनेट चलाना संभव हो सकेगा। आपातकालीन स्थिति में भी यह तकनीक जीवनरक्षक बन सकती है। एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक ने इस तकनीक का परीक्षण अमेरिकी टेलीकॉम कंपनी टी-मोबाइल के साथ किया है और परिणाम काफी सकारात्मक रहे हैं।
स्टारलिंक की खास बात यह है कि इसकी डायरेक्ट टू सेल सेवा को उपयोग करने के लिए मोबाइल फोन में किसी भी तरह के हार्डवेयर बदलाव की जरूरत नहीं होती। साधारण 4G और 5G फोन से भी यह सेवा उपयोग की जा सकती है। इससे ग्रामीण इलाकों से लेकर प्राकृतिक आपदाओं वाले क्षेत्रों तक हर जगह इंटरनेट और मोबाइल कनेक्शन उपलब्ध हो सकेगा।