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दुष्टों का संहार और धर्म की रक्षा के लिए होता है भगवान का अवतार

दुष्टों का संहार और धर्म की रक्षा के लिए होता है भगवान का अवतार—————————-भारतीय संस्कृति वैदिक काल से लेकर पौराणिक काल तक अपने आध्यात्मिक उत्कर्ष के लिए विश्व विख्यात रही है जहां समाज मे आत्मा- परमात्मा, बहु देवतावाद और अनेक प्रकार की पूजा पद्धति का वर्णन मिलता है । पुराणों के अनुसार हिन्दू धर्म मे भगवान के चौबीस अवतारों का जिक्र है जिसमे रामावतार और कृष्णावतार की महिमा सर्वोपरि है । मछरेहटा क्षेत्र के भदेभर गांव मे हो रही श्रीमद्भागवत कथा मे कथाव्यास पंडित धनेश कुमार मिश्र ने श्रीकृष्ण के अवतार की पावन कथा सुनाकर श्रोताओ को भावविभोर कर दिया । उन्होने बताया कि पापी कंस और अनेक दुराचारियों के आतंक से जब सज्जन लोग त्राहि त्राहि करने लगे । चारों ओर धार्मिक आस्थाओं, यज्ञ, पूजा-पाठ पर कुठाराघात होने लगा तो वसुदेव और देवकी की आठवीं संतान के रूप मे लीला पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण ने अवतार लिया । अपने बाल्यकाल मे गोकुल और वृंदावन मे रहते हुए अद्भुत लीलाएं कीं जिसमे गोवर्द्धन धारण महत्वपूर्ण अलौकिक घटना थी । कंस के द्वारा भेजे गए अनेक राक्षसों को मारा । अंत मे पापी कंस को मार कर न केवल अपने माता-पिता को अपितु कंस की जेल मे बंद सैकड़ो राजाओं और स्त्रियों को मुक्त कराया । इस अवसर पर आयोजकों ने पंडाल को फूल मालाओं से सजाया । कथाव्यास की संगीतमय प्रस्तुति पर श्रोता मंत्रमुग्ध होकर झूमते नजर आए।

 

 

जेबीटी आवाज न्यूज़ ओपी शुक्ला लखनऊ मंडल ब्यूरो चीफ सीतापुर

 

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