चुनाव की घोषणा के साथ ही छोड़ने लगे अपने
पूर्व वित्त मंत्री के पुत्र सहित एक दर्जन वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने दिए इस्तीफे
पार्टी पर पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और दूसरी पार्टी से आए लोगों के पैरों तले पार्टी की कुचलने के आरोप
दमोह।
त्रिस्तरीय चुनावों की घोषणा के साथ ही एक बार फिर सियासी दलों से जुड़े लोगों की नाराजगी का दौर शुरू हो गया और लंबे समय से पार्टी से बाहर चल रहे कार्यकर्ता और पदाधिकारी एक बार फिर खुलकर मैदान में है।
3 दिन पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया के पुत्र व भाजपा की प्रदेश इकाई में पदाधिकारी के रूप में शामिल रहे सिद्धार्थ मलैया ने पत्रकार वार्ता के दौरान पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र देने की घोषणा कर दी। उनके साथ भाजपा के पूर्व जिला महामंत्री रमन खत्री सहित पिछड़ा मोर्चा के पूर्व जिला अध्यक्ष कपिल सोनी,सहित पूर्व मंडल अध्यक्ष मनीष तिवारी, संतोष रोहित व अभिलाष हजारी मिंटू देवेंद्र राजपूत ने अपने इस्तीफे सौंप दिए। वही इस्तीफे का माहौल अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि गुरुवार को फिर हटा और पथरिया विधानसभा से वरिष्ठ कार्यकर्ता अपना इस्तीफा देने जिला कार्यालय पहुंच चुके हैं । उल्लेखनीय है कि उपचुनाव में दमोह विधानसभा में भाजपा की करारी शिकस्त के बाद पार्टी ने जयंत मलैया, सिद्धार्थ मलैया सहित पांच मंडल अध्यक्ष पर कार्यवाही करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया था। कुछ समय बाद बात जयंत मलैया के निलंबन को तो बापस लिया गया परंतु शेष निलंबन यथावत थे।
पीड़ा के साथ दिखा आक्रोश
इस्तीफा दे रहे कार्यकर्ताओं में मौजूदा हालातों पर पीड़ा के साथ आक्रोश की नजर आया। उन्होंने कहा कि वह और उनका परिवार जो कुछ भी है भाजपा से ही है, लेकिन मौजूदा समय में भाजपा को हमारी जरूरत नहीं है। इस्तीफे की बात पर उन्होंने उन्होंने कहा की पार्टी की तरफ से तो यह इशारा बहुत पहले हो गया था, उन्हें ही यह समझने में देर हो गई। लेकिन इस दौरान उनके द्वारा पार्टी पर उपेक्षा सहित दूसरी पार्टियों से आ रहे लोगों के पैरों तले पार्टी की विचारधारा कुछ ले जाने के आरोप भी लगाए साथ ही उन्होंने यह भी कहा की वह किसी अन्य पार्टी में नहीं जा रहे हैं लेकिन सभी एक जैसे मंशा वाले लोग नए समीकरण मिलकर तय करेंगे।
39 वार्डों में होगा घमासान
पिछले 3 वर्षों से अंदरूनी कलह से जूझ रही जिला भाजपा में प्रारंभिक इस्तीफों के बाद सोशल मीडिया पर भाजपा को छोड़ने की बात कही जाने लगी है। और साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया गया है की आगामी नगरपालिका चुनावों में इनके द्वारा सियासी दलों के विरोध ताल ठोकी जाएगी। सिद्धार्थ मलैया ने बताया कि हालांकि ना हमने किसी पार्टी की घोषणा की है और ना हम सभी वार्डों में प्रत्याशी उतारने की बात कह रहे हैं, लेकिन चुनाव में जो भी सही उम्मीदवार होगा और बेहतर तरीके से राजनीति करने वाला होगा उसे जिताने के लिए हम पूरा समर्थन देंगे और प्रयास करेंगे।
मलैया के हारने के बाद बदलते जा रहे समीकरण
गौरतलब है कि एक समय प्रदेश के कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया जब विधायक व मंत्री थे। उस समय भाजपा का ज्यादातर संगठन एक सूत्र में बंधा नजर आता था और पार्टी से नाराज चल रहे ज्यादातर कार्यकर्ता व पदाधिकारी भी उसी दौर की भाजपा के हैं। जहां 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के राहुल सिंह से जयंत मलैया की अप्रत्याशित हार के बाद यह सभी कार्यकर्ता बैकफुट पर चले गए थे, वही उपचुनाव में कांग्रेस को छोड़कर भाजपा की ओर से मैदान में आए राहुल सिंह की कांग्रेस के अजय टंडन से करारी हार के बाद इन पर कार्यवाही की गाज भी गिरी थी। हालाकि कुछ पदाधिकारियों पर कार्यवाही तो नहीं की गई लेकिन पार्टी ने नाराजगी दिखाते हुए उन्हें हाशिए पर धकेल दिया था, जिसके बाद ऐसी स्थितियां होनी तय थी
खुद कराई अपनी उपेक्षा
:प्रीतम सिंह
आरोपों के संबंध में भाजपा जिला अध्यक्ष प्रीतम सिंह लोधी का कहना है की उपचुनाव के दौरान वरिष्ठ पदाधिकारियों ने यह देखा था किस तरह के कार्य इनके द्वारा किए गए, और इसी के चलते जिला स्तर पर 6 लोगों पर निलंबन की भी कार्यवाही हुई थी। इसके अलावा अन्य लोगों ने भी पार्टी के किसी कार्यक्रम या बैठक में आना बंद कर दिया, जिसके बाद धीरे धीरे पार्टी ने भी उनसे दूरी बना ली। इसलिए यह कहना उचित है की इनके द्वारा खुद ही अपनी उपेक्षा की गई है। वही चुनावों की स्थिति में उन्होंने कहा तीन केसों से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है