*सरकारी शादी अचानक निरस्तः 91 जोड़े मेहंदी लगाए दुल्हनें और सेहरा बांधे दूल्हों ने मंदिरों में लिए सात फेरे, सरपंच और जनपद सीईओ ने ऐन वक्त पर खड़े किए हाथ*
*छिंदवाड़ा-— जिले के भाजी पानी गांव में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना अचानक निरस्त कर दिया, जिससे 91 जोड़ों को मजबूरी में अपनी सुविधा के अनुसार मंदिर और घर में (शादी करनी पड़ी) वैवाहिक बंधनों में बंधे। अचानक कार्यक्रम कैंसिल होने के बाद हाथों में मेहंदी लगी दुल्हन और सेहरा सजाए दूल्हों की शादी आनन फानन में किसी ने मंदिर से की तो किसी ने अपने परिजनों के बीच घर में ही सात फेरे लेकर सपन्न कराई।
जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत भाजीपानी में ग्राम पंचायत ने अपने स्तर पर 91 जोड़ों को मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत शादी के लिए तैयार किया था। 19 तारीख को शादी तय थी, लेकिन नियम में बदलाव के चलते कार्यक्रम कैंसिल करना पड़ा। मजबूरन परिजनों ने अपने-अपने स्तर से शादियां कीं। वहीं इस मामले में सरपंच और जनपद सीईओ अपना पल्ला झाड़कर एक दूसरे के ऊपर ठीकरा फोड़ रहे हैं।
दरअसल ग्राम पंचायत भाजी पानी में आदिवासियों का कार्यक्रम कोया पुनेम का आयोजन किया गया था। इसी में 19 अप्रैल को सामूहिक शादी का आयोजन किया गया था, जिसके लिए 91 जोड़े तैयार किए गए थे। जिनसे पांच पांच सौ रुपये रजिस्ट्रेशन फीस भी ली गई थी। आयोजन की सारी तैयारियां हो चुकी थी मंडप और हवन कुंड भी सजा लिए गए थे। परंतु ऐन वक्त पर जनपद पंचायत सीईओ द्वारा इन शादी में सरकारी सहायता देने से इंकार कर दिया गया, जिससे इस आयोजन को रद्द करना पड़ा।
इस मामले में सरपंच झनकलाल बिजोलिया का कहना है कि उन्होंने जनपद सीईओ से बात की थी। उन्होंने कहा था कि आप 5 जोड़े से ज्यादा कर लीजिए, मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत लाभ मिलेगा। लेकिन ऐन वक्त में उन्होंने सामूहिक शादी से मना कर दिया। जनपद पंचायत के सीईओ सीएल मरावी का कहना है कि स्पष्ट रूप से सरपंच की लापरवाही है। उन्हें कहा गया था कि जब तक मुख्यमंत्री कन्या विवाह के लिए नई गाइडलाइन नहीं आ जाती है ऐसा कोई आयोजन ना करें।
बता दें कि पहले पंचायत स्तर पर भी अगर शादियां होती तो उन्हें मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना का लाभ मिलता था। अब सरकार की नई गाइडलाइन के अनुसार शहरी क्षेत्र में नगरीय निकाय और ग्रामीण क्षेत्रों में जनपद पंचायत के आयोजन वाली शादियों में ही इसका लाभ मिलेगा
*समाचार संकलन प्रफुल्ल कुमार चित्रीव बालाघाट*