पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद सरकार द्वारा बुलाए गए सर्वदलीय बैठक में एआईएमआईएम प्रमुख Asaduddin Owaisi ने इस हमले की कड़ी निंदा की। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की और सरकार के फैसले की सराहना की, जिसमें सिंधु जल संधि को निलंबित करने की बात कही गई थी। ओवैसी ने कहा कि यह निर्णय बहुत अच्छा है, लेकिन अब सवाल यह है कि हम पानी कहां रखेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार जो भी निर्णय लेगी, वह उसका समर्थन करेंगे। यह किसी राजनीतिक मुद्दे से जुड़ा नहीं है।
पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की मांग
Asaduddin Owaisi ने पाकिस्तान को आतंकवादी समूहों का समर्थन देने वाला देश बताते हुए केंद्र सरकार से वहां के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की अपील की। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत हमें पाकिस्तान के खिलाफ हवाई और नौसेना नाकेबंदी करने का अधिकार है। इसके साथ ही उन्होंने पाकिस्तान को हथियारों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की भी बात की। ओवैसी ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद के खिलाफ यह लड़ाई किसी एक पार्टी की नहीं, बल्कि पूरे देश की है।
#WATCH | Delhi: After attending the all-party meeting convened by the central government, AIMIM chief Asaduddin Owaisi says, "…The central government can take action against the nation which shelters the terrorist groups. The international law also permits us to do an air and… pic.twitter.com/mg3qjKsEnx
— ANI (@ANI) April 24, 2025
ओवैसी ने कश्मीरी छात्रों और कश्मीरियों के खिलाफ फैलाए जा रहे झूठे प्रचार पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों ने लोगों को उनके धर्म के आधार पर पहचानने के बाद ही उन्हें निशाना बनाया। ओवैसी ने यह भी सवाल उठाया कि बाइसारन मैदान में सीआरपीएफ को क्यों नहीं तैनात किया गया था। इसके अलावा, उन्होंने यह भी पूछा कि सेना को कार्रवाई करने में एक घंटे का समय क्यों लगा। उनका कहना था कि कश्मीरियों और कश्मीरी छात्रों के खिलाफ नफरत फैलाने वाली प्रचार की बंदी होनी चाहिए।
सर्वदलीय बैठक में कई नेताओं की भागीदारी
पहलगाम हमले के बाद हुई सर्वदलीय बैठक में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, विदेश मंत्री एस जयशंकर, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित कई प्रमुख नेताओं ने भाग लिया। यह बैठक आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखाने और सरकार के फैसलों पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई थी। आपको बता दें कि इस हमले में 25 भारतीय नागरिकों और एक नेपाली नागरिक की जान गई, जबकि कई लोग घायल हो गए। यह हमला 2019 पुलवामा हमले के बाद घाटी में हुआ सबसे घातक हमला था।