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Ground Zero Review: ‘ग्राउंड ज़ीरो’ की सच्ची कहानी, कैसे एक BSF अधिकारी ने आतंकवादी ग़ज़ी बाबा को ढेर किया

Ground Zero Review: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हालिया आतंकी हमले ने आतंकवाद के खतरनाक चेहरे को फिर से उजागर किया। इसी तरह, 22 साल पहले जब सीमा पार से आतंकवादी अपनी दहशत फैलाने की कोशिश कर रहे थे, तब भारतीय बीएसएफ अधिकारी नरेंद्रनाथ धर दुबे ने अपनी जान की बाजी लगाकर देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी ली। ‘ग्राउंड ज़ीरो’ फिल्म में इस बहादुर अधिकारी की सच्ची और खतरनाक मिशन की कहानी को निर्देशक तेजस देओस्कर और अभिनेता इमरान हाशमी ने हमारे सामने पेश किया है।

फिल्म की कहानी और निर्देशन

‘ग्राउंड ज़ीरो’ एक बेहतरीन फिल्म है जो किसी सामान्य युद्ध फिल्म से अलग अपनी कहानी के जरिए दर्शकों को दिलचस्प तरीके से जोड़ती है। इस फिल्म में बीएसएफ अधिकारी नरेंद्रनाथ धर दुबे (इमरान हाशमी) की कहानी है, जो श्रीनगर में अपने परिवार के साथ रहते हैं। यह कहानी 2001 की है, जब कुछ आतंकवादी भारतीय सैनिकों पर हमला कर रहे थे। इन आतंकवादियों के पीछे एक बड़ा आतंकवादी नेता, ग़ज़ी बाबा था, जो जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख था। फिल्म में यह दिखाया गया है कि कैसे नरेंद्र दुबे और उनके साथी आतंकवादियों का पीछा करते हैं, लेकिन ग़ज़ी और उसके लोग हमेशा उनसे आगे रहते हैं। फिल्म का एक अहम हिस्सा है ग़ज़ी बाबा के खिलाफ एक खतरनाक मिशन, जिसको पूरा करने के लिए नरेंद्र दुबे ने अपनी जान की बाजी लगाई।

निर्देशन और लेखन की तारीफ

तेजस देओस्कर ने ‘ग्राउंड ज़ीरो’ के निर्देशन में जान डाल दी है। यह उनकी पहली हिंदी फिल्म है, जिसे दर्शकों ने सराहा है। फिल्म के एक्शन सीन शानदार तरीके से निर्देशित किए गए हैं। चाहे लक्ष्य का पीछा करते हुए गोलीबारी हो या फिल्म का क्लाइमैक्स एक्शन सीन, तेजस ने सभी लड़ाई के दृश्यों को पूरी तरह से शोध कर के दिखाया है। फिल्म का लेखन भी बहुत अच्छा है, जहां पात्रों को नायक के रूप में नहीं बल्कि सामान्य इंसान के रूप में दिखाया गया है। इसके अलावा, इमरान हाशमी ने नरेंद्र दुबे के पात्र को शानदार तरीके से निभाया है। उन्होंने एक सैनिक के भीतर के भावनाओं और संघर्षों को बहुत अच्छे से दर्शाया है।

फिल्म की कास्टिंग और प्रदर्शन

इमरान हाशमी के अलावा, साई ताम्हंकार और जोया हुसैन ने भी अहम भूमिका निभाई है। साई ताम्हंकार ने नरेंद्र दुबे की पत्नी जय दुबे का किरदार निभाया है, और भले ही उनके पास ज्यादा स्क्रीन टाइम नहीं था, लेकिन उन्होंने अपनी संवाद अदायगी और भावनाओं से गहरी छाप छोड़ी है। वहीं, जोया हुसैन ने फिल्म में एक आईबी अधिकारी अदीला का किरदार निभाया है, और उन्होंने इस भूमिका में जरूरी आक्रामकता दिखाई है। हालांकि, मुकेश तिवारी की कास्टिंग, जो इमरान हाशमी के सीनियर के रूप में हैं, थोड़ी कमजोर रही, क्योंकि उनका अभिनय उस प्रभाव को नहीं छोड़ता जो ऐसे किरदार के लिए जरूरी था। राहुल वोहरा भी आईबी प्रमुख के रूप में कुछ खास नहीं कर पाए।

क्या देखें या न देखें

‘ग्राउंड ज़ीरो’ फिल्म सीधे मुद्दे पर बात करती है और यहां-वहां भटकती नहीं है। हालांकि, फिल्म के पहले भाग को थोड़ा और तंग किया जा सकता था, लेकिन फिल्म का शानदार क्लाइमैक्स सभी शिकायतों को दूर कर देता है। कुल मिलाकर, ‘ग्राउंड ज़ीरो’ एक मजबूत फिल्म है, जिसमें इमरान हाशमी ने पुराने सेना फिल्म शैलियों से हटकर कुछ नया पेश किया है। यह फिल्म एक सच्ची कहानी पर आधारित है और निश्चित रूप से देखने लायक है।

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