EVM और Ballot papers में क्या अंतर है?
EVM और Ballot paper में डिफरेंस क्या होता है आइए पहले बैलेट पेपर के सिस्टम को समझ लेते हैं …
सबसे पहले voter एक लाइन में खड़ा होता है, फिर आईडी चेक होता था उसके बाद वोटर को एक बैलेट पेपर दिया जाता था Voter ballot paper पर अपने कैंडिडेट के नाम के आगे स्टैंप लगाकर बैलेट बॉक्स में बैलट को डाल देता था ।
वोटिंग के बाद इलेक्शन कमीशन के ऑफिशियल सिक्योरिटी फोर्सेज के साथ यह बैलट बॉक्स को स्ट्रांग रूम में ले जाया जाता था स्ट्रांग रूम में पहरेदारी होती थी और फिर गिनती के दिन रिप्रेजेंटेटिव के सामने काउंटिंग की जाती थी। अगर स्टांप कहीं ना कहीं confusing या गलत तरीके से लगाया जाता तो ऑफिशल्स और रिप्रेजेंटेटिव के सामने उसे वही उलझा दिया जाता था। अब इस प्रक्रिया में काफी दिक्कतें आती थी, देखा जाए तो हमारे देश में गुंडे वोटिंग के टाइम ballot suffing कर सकते थे, स्ट्रांग रूम पर Manuplation किया जा सकता था, Ballot suffing और Election fraud के बहुत सारी समस्याएं हमारे सामने पहले भी आ चुकी है।
TN session के नेतृत्व में इलेक्शन कमिशन आफ इंडिया ने Electronic Voting Machines बनाना शुरू किया। पहली बार मशीन को 1999 के इलेक्शन में गोवा में इस्तेमाल किया गया और 2004 से जनरल इलेक्शन यानी कि लोकसभा चुनाव पर हम लोग EVM इस्तेमाल करते आए हैं।
लेकिन यह जो First Generation EVM हुआ करते थे इससे छेड़छाड़ थोड़ी सी मुश्किल थी यह pre programmable चिप्स के साथ नहीं आते थे 2014 से Voter verifiable paper audit trail or VVPAT introduced किया गया। अब इस EVM, VVPAT के सिस्टम में वही लाइन होती है,वही आइडेंटिफिकेशन होगा फिर आप जाते हैं पोलिंग बूथ के अंदर जहां आपको दो चीजे दिखाई देती है, Ballot unit और VVPAT machine पोलिंग बूथ के बाहर प्रेसिडिंग ऑफीसर के Desk पर एक कंट्रोल यूनिट होती है जिसकी बटन दबाकर ऑफिसर Ballot unit एक्टिवेट कर देता है ऐसा नहीं है कि वह 24 घंटे एक्टिव होता है कोई भी बटन दबा दे, वह कंट्रोल यूनिट जो बाहर से है वही से एक्टिव होता है । आपके बैलट यूनिट पर सीरियल नंबर कैंडिडेट का नाम और पार्टी का सिंबल मौजूद होता है आप अपने कैंडिडेट के साइड के बटन प्रेस करते हैं तो बटन के एक साइड पर LED लाइट जलती है और आपका वोट रजिस्टर होता है।
उसके तुरंत VVPAT मशीन से एक पर्ची निकलती है जिसमें कैंडिडेट का नाम चुनाव चिन्ह सीरियल नंबर होता है यह पर्ची 7 सेकंड तक आपको नजर आती है इस EVM के कंट्रोल यूनिट में अब सारे वोट स्टोर हो चुके हैं वोटिंग के बाद EVM के साथ वही प्रक्रिया फॉलो किया जाता है जो बैलट बॉक्स के साथ होता था उन पर एक सिक्योरिटी सील लगती है, एक स्ट्रांग रूम में लिया जाता है, पहरेदारी होती है, और Counting के दिन कैंडिडेट के रिप्रेजेंटेटिव और इलेक्शन कमीशन के Officers के सामने सील की चेकिंग होती है फिर काउंटिंग होती है काउंटिंग के लिए कंट्रोल यूनिट में एक बटन होता है जो खुद ही वोट्स की काउंटिंग करके रिजल्ट दिखा देता है कि एक बॉक्स में एक कंट्रोल यूनिट में कितने Votes गए। अगर कुछ गड़बड़ लगी या कंट्रोल यूनिट Crash हो जाता है तो फिर वह VVPAT Slips की manually counting होती है ।