विजय निरंकारी/विपिन दुबे सागर
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बंदियों का जीवन सुधारने की दिशा में जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर और दिनेश नरगावे की अभिनव पहल
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यूं तो मध्यप्रदेश की जेलों में कैदियों को सजा पूरी करने के बाद बाकी जीवन सुधारने की दिशा में सरकार और कोर्ट के आदेश पर सार्थक पहल हो रही है! लेकिन जबलपुर और सागर सेंट्रल जेल में सुपरिटेंडेंट अखिलेश तोमर और दिनेश नरगावे कुछ हटकर ही नवाचार कर रहे हैं ! सागर सेंट्रल जेल में 4 महीने पहले आए अधीक्षक दिनेश नरगावे ने कैदियों को धर्म और अध्यात्म की राह से जोड़ने के लिए राम कथा; श्रीमद् भागवत कथा के अलावा 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ कराया ! हाल ही में 14 अप्रैल को शासन की अनुशंसा पर छोड़े गए 15 कैदियों ने “आवाज टीवी ” साक्षात्कार में यही संकल्प दोहराया की बाकी जीवन सत्संग और अच्छे कर्मों में व्यतीत करेंगे ! हत्या जैसे जघन्य अपराध मैं अच्छे चाल-चलन के कारण छूटे इन कैदियों का यही कहना था जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे कैदियों को शास्त्रों के माध्यम से बाकी जीवन सुधारने के जो प्रयोग जेल में करते हैं वह बहुत ही सफलता पूर्ण है!
रिहा हुए कैदियों की आंखों में भर आए आंसू कहा- हम तो हर रोज मर रहे हैं
14 अप्रैल को छूटे दमोह सहित अन्य जिले के 15 कैदियों का यही कहना था छोटी सी गलती पर जो पाप हो जाता है; उसकी सजा पूरे परिवार को भुगतना पड़ती है ! हम लोगों का यही कहना है “क्रोध को पीकर जिओ” क्योंकि जिसकी हत्या होती है वह तो एक बार मर जाता है! हम लोग तो हर रोज मर रहे हैं !परिवार में किसी की शादी हो; बच्चों का जन्मदिन हो; सुख-दुख हो हम यही तड़पते रहते हैं ! यानी हमारी जिंदगी मौत से बदतर हो जाती है इसलिए क्षणिक आवेश में आकर कोई ऐसा काम मत करो कि जीवन भर पछताना पड़े!
28 महिलाएं और 100 से ज्यादा पुरुष कैदी सीख रहे संस्कृत
सागर सेंट्रल जेल में 100 से ज्यादा पुरुष कैदी और 30 बंदी महिलाएं इन दिनों कर्मकांड की शिक्षा ले रहे हैं गायत्री परिवार द्वारा इन्हें दीक्षित किया जा रहा है यह कैदी गीता रामायण 1 लोगों के अलावा संस्कृत का ज्ञान अर्जन कर बाकी जीवन पूजन भजन में व्यतीत करेंगे ! अधीक्षक दिनेश नरगावे ने बताया कुछ कैदियों को संगीत की शिक्षा भी दी जा रही है ताकि जेल से छूटने के बाद इनका जीवन सार्थक हो और यहां लिया ज्ञान कमाई का जरिया बन सके! गायत्री परिवार द्वारा दीक्षित यह बंदी कर्मकांड में महारत हासिल करेंगे! मालूम हो मध्य प्रदेश के 11 सेंट्रल जेलों में सिर्फ सागर में ही हथकरघा केंद्र संचालित है जहां 109 बंदी कार्यरत है और 52 हैंडलूम है!खास बात यह है करीब एक करोड़ की लागत से यह हथकरघा केंद्र जनभागीदारी से संचालित है जहां शासन का एक भी पैसा नहीं लगा! 5 सेंट्रल जेल और करीब एक दर्जन जिला जिलों का बखूबी दायित्व संभालने वाले कुशल प्रशासक श्री नरगावे के नेतृत्व में यहां अनुशासन पहली प्राथमिकता है! जेल विभाग के नियमों के अनुसार मिनट-2-मिनट हर कार्य होता है! चाहे कैदियों को बैरिक से छोड़ने के बाद भीतर करने का मामला हो या परिजनों से मुलाकात का सभी मैं रूल्स और नियमों का सख्ती से पालन किया जाता है!
तोमर की सार्थक पहल :जबलपुर सेंट्रल जेल में कैदियों को छूटने के बाद मिलेगा रोजगार
हाईकोर्ट चीफ जस्टिस श्री रवि मलिमठ के निर्देश पर केन्द्रीय जेल जबलपुर में दोषसिद्ध बंदियों को उनकी प्रतिभा के अनुसार प्रशिक्षण प्रदान किये जाने की पहल की गई है। जिसके माध्यम से कैदियों को रिहा होने के बाद उन्हें रोजगार मुहैया कराया जा सकेगा। उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम के समाप्त होने के पश्चात प्रशिक्षित कैदियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा जिसके माध्यम से कैदी जेल से रिहा होने के पश्चात् सम्मानपूर्वक जीवनयापन कर सकेंगे। 27 मार्च
2023 से 40 पुरूष दोषसिद्ध बंदी योग प्रशिक्षक से प्रतिदिन 02 घंटे प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है।
बंदियों को उनकी रूचि के अनुसार अन्य प्रशिक्षकों से प्रशिक्षण प्रदान किये जाने के लिये रूपरेखा तैयार की जा रही है, जिससे दोषसिद्ध बंदियों के तकनीकी ज्ञान एवं कौशल विकास को बढ़ाया जाकर रिहा होने के पश्चात् उनका आने वाला भविष्य को पुनर्वासित किया जा सकता है ताकि ये समाज में सम्मानपूर्वक जीवनयापन कर सकेंगे।
अधीक्षक अखिलेश तोमर ने बताया बड़ी कंपनियों (iso) से बात चल रही है; बाकी कैदियों को ट्रेनिंग के बाद सर्टिफिकेट मिले और उन्हें कंपनियों में जॉब भी मिले ! गौरतलब है कई सेंट्रल जेलों का जिम्मा संभालने वाले श्री तोमर के नेतृत्व में बंदियों को सजा के बाद जीवन बदलने के टिप्स बताए जा रहे हैं के सार्थक नतीजे आ रहे हैं!