जगमगाते दावे और टिमटिमाता विकास-
विधायक और प्रशासनिक अधिकारियों ने खैरलांजी की जनता से किया झूठा वादा
सुशील उचबगले की रिपोर्ट
गोरेघाट/तिरोड़ी
बालाघाट जिले की जनपद पंचायत कटंगी के अंतिम छोर पर दो राज्यों की संयुक्त परियोजना राजीव सागर बांध कुड़वा डैम के किनारे जंगल के बीच बसे करीब 900 सौ की आबादी वाले खैरलांजी गांव के ग्रामीण आज अपनी ही ग्राम पंचायत अंबेझरी आना-जाना नहीं कर पा रहा है. ग्राम पंचायत अंबेझरी का खैरलांजी गांव अंबेझरी से करीब 08 किमी. दूर जंगल के बीच बसा हुआ है. खैरलांजी गांव को अंबेझरी से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत पक्की सड़क बनी हुई है. मगर, इस सड़क में गांव पहुंचने से महज करीब आधा किमी. पहले एक पुलिया बना हुआ है जिसकी ऊँचाई इतनी कम है कि राजीव सागर बांध में जलभराव होते ही यह पुलिया पूरी तरह से पानी में डूब जाता है और वर्ष में करीब 06 माह तक पानी में ही डूबा रहता है. जिस कारण ग्रामीणों की आवाजाही बंद हो जाती है. ऐसे में ग्रामीण जंगल के रास्ते आना-जाना करते है. मगर, इस रास्ते में भी गांव का एक तालाब है जिसमें ओवरफ्लो होते ही आवागमन बंद हो जाता है. गांव की इस समस्या को देखते हुए ग्रामीणों ने विधानसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार करने का ऐलान किया था परंतु तब एसडीएम, एसडीओपी, तहसीलदार ने गांव पहुंचकर ग्रामीणों को भरोसा दिया कि चुनाव होने के बाद उनकी समस्या का निराकरण करने का प्रयास किया जाएगा. वहीं विधानसभा के चुनाव में प्रचार के दौरान भाजपा प्रत्याशी गौरव सिंह पारधी जो अब विधायक है उन्होंने भी ग्रामीणों को इस गंभीर समस्या का निराकरण करने का भरोसा दिया था. मगर, इन 07 महीनों में ना तो इस गांव में फिर अफसरों ने कदम रखा ना ही ही जनता के चुने जाने के बाद विधायक ने कभी इस गांव में झांककर देखा.
अंबेझरी पंचायत के पूर्व सरपंच और सरपंच प्रतिनिधि सुखदेव सलामे ने बताया कि पुलिया पर पानी होने की दशा में ग्रामीण जंगल के रास्ते जिस कच्चे रास्ते से आना जाना करते है. ग्रेवल सड़क बनाना प्रस्तावित है लेकिन जिला पंचायत बालाघाट में फाईल काफी महीनों से स्वीकृति के लिए अटकी पड़ी है. वह कहते है कि हम ग्रामीण नहीं जानते की यह फाईल कब आगे बढ़ेगी. मगर अभी हाल में ही राज्य सरकार ने मनरेगा को लेकर जो फैसला लिया है उसके बाद ऐसा लग रहा है कि मानो यह ग्रेवल सड़क भी कभी नहीं बनेगी. खैर, खैरलांजी गांव जहां एक तरफ अपनी ही ग्राम पंचायत अंबेझरी की तरफ जाने वाले सड़क मार्ग को लेकर संघर्ष कर रहा है. वहीं दूसरी तरफ इस गांव के लोग आसानी से सिवनी जिले के पिपरवानी भी आना-जाना नहीं कर पाते है. खैरलांजी की पिपरवानी से तकरीबन दूरी करीब 12 किमी. है. इस बीच रास्ते में बरघाट विधानसभा के सिलारी और जटामा गांव आते है. सिलारी से जटामा और पिपरवानी के बीच पक्की डामर सड़क है. मगर, खैरलांजी से सिलारी के बीच जंगल का रास्ता पूरी तरह से खराब है. यहां भी ग्रेवल सड़क बनना प्रस्तावित है. पहले तो वन क्षेत्र होने के कारण यहा ग्रेवल सड़क निर्माण की अनुमति नहीं मिल पा रही थी. परंतु जब जैसे-तैसे वन विभाग से एनओसी मिली तो ग्राम पंचायत जटामा की फाईल जिला पंचायत सिवनी में कई महीनों से एक टेबल से दूसरे टेबल चक्कर काट रही है. ऐसे में खैरलांजी गांव की जनता का दुख और भी बढ़ जाता है. ग्रामीणों को जिन नेताओं से उम्मीद थी वहीं नेता अब खैरलांजी गांव की जनता से बोल रहे है कि तुम्हारे यहां से संतोषजनक वोट नहीं मिले. इतने निम्न स्तरीय सोच रखने वाले नेता से अब जनता शायद ही कोई उम्मीद करें लेकिन बेबस हो चुकी जनता फिर भी विधायिका से गुहार लगाती है.