सीबीआई ईडी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग संबंधी विपक्ष के आरोपों का जवाब आ गया है शीर्ष अदालत ने विपक्षी नेताओं को आईना दिखा दिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह आरोप सही साबित हो रहा है कि भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे होने के कारण विपक्षी दल एकजुट हो रहे हैं सर्वोच्च अदालत ने अपने निर्णय से यह बता दिया है कि कानून के समक्ष सभी समान है दरअसल हमारे देश और समाज में यहां आम संस्कृति है कि नेता या अधिकारी ही नहीं जो इनका करीबी रहता है उसके मन में भी विशेषता का भाव रहता है यह भावना सामंती हद तक दिखलाई पड़ती है जबकि होना इसका उल्टा चाहिए क्योंकि उनके कंधों पर समाज सेवा का दायित्व होता है इस नाते उन्हें समाज को दिशा भी देना होता है ताकि संविधान के प्रति आदर सम्मान के भाव का संप्रेषण निचले स्तर तक हो यानी आमजन से ज्यादा रसूख अदारो को नियम कानून की परवाह करनी चाहिए विपक्ष अब इसका ध्यान रखें
: समानता के अधिकार की रक्षा
: स्वयं को संविधान से बड़ा समझने वाले कांग्रेस सहित 14 राजनीतिक दलों का माननीय सुप्रीम कोर्ट ने दर्पण दिखाया है इन दलों की याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि आप नेता हैं तभी भी आपके लिए अलग से कानून नहीं हो सकता अदालत का यह भाव संविधान में वर्णित समानता के अधिकार को बल देता है केंद्र सरकार का दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए जांच एजेंसियों की कार्यवाही रुकवाने अदालत पहुंचे थे 14 राजनीतिक दल अदालत ने टिप्पणी की कि आखिर नेता और आम आदमी के के लिए अलग-अलग कानून क्यों हो यह भारतीय संविधान में वर्णित समानता के अधिकार का भाव है
: विधि का मजबूत शासन
: सर्वोच्च अदालत से विपक्षी दलों को झटका लगना ही था उनकी ऐसी कोई याचिका दायर ही नहीं करनी चाहिए थी इससे यह लगा कि वह अपने लिए अलग नियम कानून की मांग कर रहे हैं इससे यह भी एहसास हुआ कि वह जात से मुक्ति चाहते हैं क्या भी यह चाहते हैं कि भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे नेताओं का सच बाहर ना है या उनको इसलिए गिरफ्तार नहीं किया जाए क्योंकि वह विपक्षी दल के नेता है ऐसे में अच्छा ही हुआ की अदालत ने उनको याचिका खारिज कर दी और विधि के शासन को मजबूती में स्थापित किया