बंदरों के आतंक से ग्रामीण परेशान
सुशील उचबगले की रिपोर्ट
गोरेघाट/तिरोड़ी
पठार क्षेत्र के ग्राम पंचायत गोरेघाट में पिछले दो वर्षों में बंदरों की संख्या धीरे धीरे इतनी बढ़ गई कि अब आम जन अपने घरों की बाड़ियों में तथा खेतों में सब्जी और अन्य खाने की सब्जियां नहीं लगा रहे है। इनका आतंक इतना है कि ये घर में घुसकर चावल रोटी और जो भी खाद्य सामग्री मिले उसे ले जाकर खा जाते है। बुजुर्गों की माने तो पिछले दो साल से पहले हमने बंदरों को कभी गांव में आते नहीं देखा अगर धोखे से आ भी जाते तो बिना नुकसान किए बाहर चले जाते थे मगर अब तो ऐसा लगता है कि जंगलों में कम गांव में ज्यादा संख्या हो गई है। जबकि बंदर इतने खूंखार हो गए है बच्चे महिलाएं और किसी पर आसानी से हमला कर रहे उनको इंसान से डर खत्म हो गया है। अगर घरों के सामने गेहूं या अन्य सामग्री सूखने रख दिए तब तो सब खा जाते है ये बंदर।
वन विभाग की निष्क्रियता
वन विभाग के कर्मचारी इसी गांव में रहते है और कई बार ग्रामीणों द्वारा इनको जानकारी भी दी जा रही है मगर अभी तक इन बंदरों के प्रति कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए है ।