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सागर सेंट्रल जेल में बह रही भक्ति रस की धार; प्रसंग सुन भर आई बंदियों की आंखें
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विपिन दुबे ! सार्थक बात
इस दुनिया में मां-बाप से बड़ी दौलत कुछ नहीं है! माता-पिता का दिल दु:खी करोगे तो ईश्वर भी यह गुनाह माफ नहीं करेगा! दौलत से आप सब कुछ खरीद सकते हो; लेकिन मां-बाप को खरीद कर बताओ! माता-पिता का कर्ज तो विधाता भी नहीं चुका सके ! यह अमृत वचन सागर सेंट्रल जेल में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन श्री हरि महाराज के मुखारविंद से कैदियों और जेल प्रशासन ने श्रवण किए ! सुखदेव जी का वर्णन करने के बाद उन्होंने अध्यात्म से जुड़ने और धर्म ध्वज की पताका फहराने सभी से आव्हान किया!
रास्ता गुरुजी दिखाते हैं मार्ग पर तो चलना आपको है
राष्ट्रीय धर्म प्रचारक और भागवत कथा चार्य श्री हरि महाराज ने कहा गुरु तो केवल रास्ता बताते हैं यदि मंजिल पाना है तो चलना आपको होगा धर्म के मार्ग पर सफर करें आपका जीवन सार्थक हो! सरगम की धुनों पर जब भक्ति गीतों की जब शुरुआत की कई तो बंदियों के आंखों से आंसू छलक आए ! “पूत सपूत सुने हैं लेकिन माता नहीं कुमाता”.. इस पर वर्णन करते हुए उन्होंने माता- पिता; गुरु; धर्म; समाज और देश की सेवा करने का संकल्प दिलाया! उन्होंने कहा बनो तो श्रवण कुमार की तरह! उन्होंने बंदियों से पुनः आव्हान किया कि जो जाने-अनजाने में गुनाह आपने किया है उस पाप की आग में आप तो जल ही रहे हैं आपके परिवार पर भी उसकी आच-तपन बरकरार है!
श्री हरि महाराज ने कहा- यहां तथा सिर्फ श्रवण ही नहीं करना है बल्कि उसे अपने जीवन में आत्मसात करो! कुछ परिवर्तन करो ! धर्म के मार्ग पर चलो! सत्संग करो तभी आपके पापों का सही मायने में यही प्रायश्चित होगा! गौरतलब है श्री हरि महाराज के बताए रास्ते पर चलकर कई बंदी सजा भुगतने के बाद अध्यात्म की राह पर है!कथा से पहले जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे ने भी कैदियों को नेक रास्ते पर चलने का संकल्प दिलाया! 11 अप्रैल को कथा के तीसरे दिन वामन अवतार का प्रसंग सुनाया जाएगा ! कथा 15 अप्रैल तक दोपहर 1:00 से 4:00 तक जारी है!