HomeMost Popularरेत की रॉयल्टी का गणित...जिसे पहेली बना रहे ??,

रेत की रॉयल्टी का गणित…जिसे पहेली बना रहे ??,

रेत की रॉयल्टी का गणित…जिसे पहेली बना रहे नेतागण, अराजक तत्वों ने किया जनप्रतिनिधियों को गुमराह?

बालाघाट जिले में रेत की रॉयल्टी की दरें बढ़ने को लेकर कुछ नेताओं ने बवाल काटा हुआ है,कुछ अराजक तत्व जो स्वयं के स्वार्थ की पूर्ति के लिए इस मामले को हवा दे रहे हैं,लोगों को उकसा रहे हैं,जो भी लोग सस्ती लोकप्रियता के लिए जनभावना के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं ,ठेकेदार के विरुद्ध आक्रोश पैदा कर रहे हैं ,वही लोग जिले का माहोल बिगाड़ने से पहले यदि रेत ठेके की प्रक्रिया और दर निर्धारण का गणित समझ लेते तो वास्तविकता उनके सामने आ जाती,

 

सीधा सा गणित है लेकिन शायद किसी ने भी समझने और लोगो को समझाने का प्रयास नहीं किया,अनसुलझी गुत्थी बनाकर सिर्फ हंगामा खड़ा करने का प्रयास किया। निविदा अनुसार जिले के ठेकेदार को 125000 घनमीटर रॉयल्टी प्रतिमाह मिलती है ,जिसके एवज में ठेकेदार के द्वारा 101808587 रुपए नवंबर माह में जमा की गई, कोई भी व्यक्ति इसका हिसाब निकाल सकता है, भाग देने पर स्पष्ट हो जाएगा कि 1 घनमीटर का राजस्व सरकारी खाते में 815 रुपए जमा हुआ, इसके अलावा खदान संचालन में ढेरों खर्च जैसे वेतन भत्ते डीजल व अन्य शामिल हैं

,उन्हें भी छोड़कर अब बात करें ट्रेक्टर की रॉयल्टी पर मचे बवाल कि,तो भी 2500 प्रति ट्राली को नाजायज बोलकर हंगामा खड़ा करने का बेतुका प्रयास भी उजागर हो जायेगा। 1 ट्रेक्टर की ट्राली में 3 घनमीटर की रॉयल्टी काटी जाती है ,3 घ मीटर को एक घनमीतर के राजस्व की राशि 815 रुपए से गुणा करने पर 2445 रुपए साफ दिखेगा,इसके बाद ढेरों खर्च की राशि भी जोड़ लीजिए, अब बताइए 2500 प्रति ट्राली गलत है क्या? क्या हिसाब किताब जोड़ने में असक्षम हैं नेतागण ,या फिर सिर्फ बवाल करने और लोकप्रियता बटोरने के लिए तथ्यों से अनजान बन रहे हैं,

कहीं ऐसा तो नहीं जिन लोगों का स्वार्थ पूरा नहीं हो पा रहा है व्यक्तिगत खुन्नस में जनप्रतिनिधियों को गुमराह कर क्षेत्र का माहोल खराब करने का प्रयास तो नहीं कर रहे? एक सवाल और भी क्या हम लोग किसी व्यापारी से 3000 रुपए में बना सामान 2000 में खरीद सकते हैं, क्या आप भी लागत मूल्य से कम में कोई सामान बेच सकते हैं? ठेकेदार को विलन बनाने और जनभावना भड़काने के प्रयास में इस बात पर पर्दा डाला जा रहा है कि इस दफा ठेका ही महंगा हुआ है,ये भी नहीं बताया जा रहा है कि 3 गुना लगभग ठेके कि राशि बढ़ी है,जिसे बढ़ाया भी कुछ स्वार्थी लोगों ने है,प्रतिस्पर्धा की भेंट सस्ती रेत चढ़ गई,पिछले ठेके में सस्ती रेत सभी जिले वासियों को मिली,इस बार कुछ अलग ही साजिश चली और ठेकेदार को आर्थिक नुकसान पहुंचाने ठेका महंगा

करवा दिया गया,अब सरकार को तो भरपूर राजस्व मिल रहा है लेकिन आम जनमानस को पुरानी दरों में रेत नहीं मिलेगी।अभी भी ठेकेदार मुनाफा न कमाकर लागत मूल्य से भी थोड़ा कम में रेत उपलब्ध करवा रहे हैं लेकिन उन्हें घेरने पूरा गुट निकल गया है, नेतागण जो तथ्य छिपाकर प्रहार कर रहे हैं इनके गिरोह में रेत का अवैध व्यापार कर धन कमाने की फिराक में रहने वाले तत्वों के शामिल होने की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता।एक तथ्य और है जिसमे प्रकाश में डालना जरूरी है,2445 रुपए प्रति ट्राली राजस्व सरकार को देने के बाद 2500 रुपए वसूलना कम्पनी के लिए फायदे का सौदा कतई नहीं है ,क्योंकि सैकड़ों कर्मचारियों का वेतन ,भोजन खर्च गाड़ियों का डीजल खर्च आदि जोड़ दें तो 3500 प्रति ट्राली से कम में बालाघाट जिले में रेत खनन व व्यापार कर रही कंपनी कभी रेत नहीं दे पाएगी,ऐसा माना जा रहा है कि महंगे ठेके की पूरी मार बालाघाट जिले के ग्राहकों को न पड़े इसलिए कुछ हद तक कंपनी भी नुकसान उठा रही है।

RELATED ARTICLES

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular