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Mallikarjun Kharge: तीन सुझावों वाला पत्र और जाति पर छिड़ी नई जंग! क्या मोदी मानेंगे खरगे की बात? जाति गणना पर अब होगा फैसला

कांग्रेस अध्यक्ष Mallikarjun Kharge ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बार फिर जाति जनगणना को लेकर खुला पत्र लिखा है। उन्होंने याद दिलाया कि 16 अप्रैल 2023 को उन्होंने इस मुद्दे पर पहली बार चिट्ठी भेजी थी लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने कहा कि इसके बाद लगातार बीजेपी नेताओं और खुद प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पार्टी और इसके नेतृत्व पर इस मांग को लेकर हमले किए जबकि अब खुद प्रधानमंत्री इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि जातिगत जनगणना सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण के हित में है। खड़गे ने इस पत्र में तीन अहम सुझाव दिए हैं जिन पर विचार करने की अपील की गई है।

जनगणना के फॉर्मेट में पारदर्शिता और उद्देश्य की बात

खड़गे ने अपने पत्र में कहा कि जाति से जुड़ी जानकारी सिर्फ गिनती भर के लिए नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक लक्ष्य पाने के लिए इस्तेमाल होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हाल ही में तेलंगाना में हुई जाति आधारित सर्वेक्षण की प्रक्रिया एक उदाहरण है जिसे केंद्र सरकार अपनाकर व्यापक डेटा इकट्ठा कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि जनगणना की अंतिम रिपोर्ट में कुछ भी छिपाया न जाए बल्कि हर जाति का पूरा सामाजिक और आर्थिक डाटा सार्वजनिक किया जाए ताकि प्रत्येक जाति की प्रगति को एक जनगणना से दूसरी जनगणना तक मापा जा सके और उन्हें उनका संवैधानिक अधिकार मिल सके।

खड़गे ने अपने पत्र में यह भी कहा कि 1994 में तमिलनाडु में बना आरक्षण कानून संविधान की नवमी अनुसूची में शामिल किया गया था जिससे उसे न्यायिक जांच से संरक्षण मिला। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी राज्यों के ऐसे आरक्षण कानूनों को भी नवमी अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जब जाति जनगणना के नतीजे सामने आएंगे तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि एससी एसटी और ओबीसी को मिलने वाला 50 प्रतिशत का आरक्षण सीमा काफी नहीं है इसलिए इसे हटाने के लिए संविधान में संशोधन जरूरी होगा।

निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर

खड़गे ने याद दिलाया कि 20 जनवरी 2006 को संविधान में जोड़ा गया अनुच्छेद 15(5) यह अधिकार देता है कि निजी शिक्षण संस्थानों में भी एससी एसटी और ओबीसी को आरक्षण मिले। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में मुहर लगा दी थी। उन्होंने यह भी बताया कि 25 मार्च 2025 को संसद की स्थायी समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में अनुच्छेद 15(5) के आधार पर नया कानून बनाने की सिफारिश की थी ताकि उच्च शिक्षा में हाशिए पर खड़े वर्गों को बराबरी का अवसर मिल सके।

खड़गे ने अंत में यह भी कहा कि जाति जनगणना को किसी भी तरह से समाज को बांटने वाला नहीं माना जाना चाहिए बल्कि यह प्रक्रिया समाज के पिछड़े वंचित और कमजोर वर्गों को उनके हक दिलाने का जरिया बन सकती है। उन्होंने जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में दिखाई एकता का उदाहरण देकर कहा कि भारत हमेशा विपरीत परिस्थितियों में भी एकजुट रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की कि वह सभी राजनीतिक दलों से इस मुद्दे पर संवाद करें और जाति जनगणना को सामाजिक न्याय के रास्ते की अहम कड़ी बनाएं।

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