QR Code: आज के दौर में जब भी हम ऑनलाइन पेमेंट करते हैं या WhatsApp Web को स्कैन करते हैं तो एक चीज सबसे पहले नजर आती है और वह है QR कोड। यह छोटा सा स्क्वायर बॉक्स अब हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। इसकी सबसे खास बात यह है कि हर बार एक नया कोड बनता है जो पूरी तरह अलग होता है और सिक्योरिटी के मामले में बेहद कारगर होता है।
QR कोड किसने बनाया था और क्यों
QR कोड का पूरा नाम है क्विक रिस्पॉन्स कोड। इस तकनीक को साल 1994 में जापान के मशहूर इंजीनियर मासाहिरो हारा ने बनाया था। उस समय वे Toyota कंपनी की एक सब्सिडियरी Denso Wave के लिए काम कर रहे थे। यह तकनीक कोई नई नहीं बल्कि आज से करीब 31 साल पुरानी है जो अब जाकर लोगों की जरूरत बन चुकी है।
मासाहिरो हारा को QR कोड का आइडिया एक गेम खेलते समय आया। वह एक पारंपरिक जापानी बोर्ड गेम ‘Go’ खेल रहे थे जिसमें 19×19 की ब्लैक एंड व्हाइट ग्रिड होती है। इसी ग्रिड को देखकर उनके दिमाग में ये विचार आया कि क्यों न एक ऐसे कोड की संरचना की जाए जिसमें कई प्रकार की जानकारी सुरक्षित रखी जा सके।
QR कोड का पहला इस्तेमाल कहां हुआ था
जब मासाहिरो हारा ने इस अनोखे आइडिया को Denso Wave की टीम के साथ शेयर किया तो सबने मिलकर इसे असल रूप में बदल दिया। शुरुआत में इस कोड का इस्तेमाल केवल ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में किया गया था। इसका काम था कार के पुर्जों की पहचान करना ताकि प्रोडक्शन में कोई गड़बड़ी न हो।
अब QR कोड सिर्फ फैक्ट्रियों में इस्तेमाल होने वाली चीज नहीं रहा। आज यह हर इंसान की रोजमर्रा की जिंदगी में घुल मिल चुका है। हम दुकानों पर पेमेंट करते हैं टिकट बुक करते हैं रेस्टोरेंट में मेनू स्कैन करते हैं और यहां तक कि डॉक्यूमेंट्स और शादी के कार्ड में भी इसका इस्तेमाल होने लगा है।